नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला 24 जुलाई तक टाल दिया। खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगों की कथित साजिश रचने से जुड़े एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से बृहस्पतिवार को जवाब तलब किया।
उमर खालिद को 2020 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आसपास की बड़ी साजिश में कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था । खालिद ट्रायल के इंतज़ार में सितंबर 2020 से सलाखों के पीछे है।
जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और एम.एम. सुंदरेश की पीठ 24 जुलाई को मामले की सुनवाई के लिए सहमत हुई। दिल्ली पुलिस के वकील ने हजारों पन्नों की भारी भरकम चार्जशीट का हवाला देते हुए जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांग लिया।
खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा , "वह व्यक्ति दो साल और ग्यारह महीने से हिरासत में है। अब क्या जवाब (शपथ पत्र) दाखिल करना है? यह जमानत याचिका है।"
जस्टिस बोपन्ना ने अतिरिक्त समय के अनुरोध पर असहमति व्यक्त करते हुए वकील से कहा आपको आज तैयार रहना चाहिए था।
खालिद ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की पीठ ने पिछले साल 18 अक्टूबर को रेगुलर बेल की मांग वाली खालिद की अपील खारिज कर दी थी। खालिद ने ट्रायल कोर्ट के जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था।
खालिद के खिलाफ नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान अमरावती में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है जिसके चलते कथित रूप से दिल्ली में दंगे हुए।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, जेएनयू स्कॉलर और कार्यकर्ता खालिद और शरजील इमाम राष्ट्रीय राजधानी में 2020 के दंगों से जुड़े कथित बड़े साजिश मामले में शामिल लगभग एक दर्जन लोगों में से हैं।फरवरी 2020 में हुए दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।