Umar Khalid Seeks Bail In UAPA Case: जेएनयू के पूर्व छात्र नेता और दिल्ली दंगे 2020 की साजिश के आरोपियों में से एक उमर खालिद ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है. उमर खालिद ने जमानत की मांग गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) मामले में की है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है. बता दें कि उमर खालिद सितंबर 2020 से हिरासत में है.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए उमर खालिद की याचिका सूचीबद्ध है. जमानत की याचिका में उमर ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने 28 मई को उमर खालिद को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था.
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, जमानत याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि आरोपी के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं और वह जमानत के हकदार नहीं हैं.
विशेष न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने अपने आदेश में कहा,
"माननीय उच्च न्यायालय ने आवेदक के खिलाफ मामले का विश्लेषण किया और अंत में निष्कर्ष निकाला कि आवेदक के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं और यूएपीए की धारा 43डी(5) द्वारा लगाया गया प्रतिबंध आवेदक के खिलाफ पूरी तरह लागू होता है और आवेदक जमानत का हकदार नहीं है."
विशेष न्यायाधीश ने 28 मई को पारित आदेश में कहा,
"यह साफ है कि माननीय उच्च न्यायालय ने आवेदक की भूमिका पर बारीकी से विचार किया है और उसकी इच्छानुसार राहत देने से इनकार कर दिया है."
ट्रायल कोर्ट ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने सतही विश्लेषण किया और निष्कर्ष निकाला कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है.
ट्रायल कोर्ट ने आदेश में कहा,
"जैसा कि आवेदक के वकील द्वारा भरोसा किए गए वर्नोन के मामले के अनुसार, जमानत पर विचार करते समय, किसी मामले के तथ्यों का कोई 'गहन विश्लेषण' नहीं किया जा सकता है और साक्ष्य के सत्यापन मूल्य का केवल 'सतही विश्लेषण' किया जाना चाहिए और इस प्रकार माननीय उच्च न्यायालय ने जमानत प्रदान करने के लिए आवेदक की प्रार्थना पर विचार करते समय साक्ष्य के सत्यापन मूल्य का पूरा सतही विश्लेषण किया है और ऐसा करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि आवेदक के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है."
अदालत ने कहा था कि जब माननीय उच्च न्यायालय ने पहले ही 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश के तहत आवेदक की आपराधिक अपील को खारिज कर दिया है और उसके बाद, आवेदक ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपनी याचिका वापस ले ली, तो इस न्यायालय का 24 मार्च, 2022 को पारित आदेश अंतिम हो गया है और अब, किसी भी कल्पना में यह न्यायालय आवेदक द्वारा वांछित मामले के तथ्यों का विश्लेषण नहीं कर सकता है और उसके द्वारा मांगी गई राहत पर विचार नहीं कर सकता है. अब तक ट्रायल कोर्ट ने उनकी दो जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। तब से वे हिरासत में हैं. उन्होंने नियमित जमानत के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 437 और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 की धारा 43डी (5) के तहत नियमित जमानत मांगी थी.