दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में दिल्ली सरकार के सर्कुलर के निलंबन को बरकरार रखा है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), वंचित समूह (DG) और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) श्रेणियों के तहत शहर के निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार को अनिवार्य करता है. अदालत ने कहा कि किसी बच्चे की संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है.
कोर्ट ने केएस पुट्टास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर भरोसा किया और कहा कि सरकार के सर्कुलर प्रथम दृष्टया संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत थे. इससे पहले सिंगल बेंच ने सर्कुलर को निलंबित कर दिया था.
अदालत ने ये भी कहा कि सिंगल जज ने अभी तक मामले पर अंतिम विचार नहीं किया है. इसलिए मामले में सरकार की अपील में कोई योग्यता नहीं है और उसे खारिज कर दिया गया.
27 जुलाई, 2023 के अपने आदेश में जस्टिस भंभानी ने 12 जुलाई, 2022 और 2 फरवरी, 2023 के परिपत्रों के संचालन पर रोक लगा दी थी. परिपत्रों को चुनौती देने वाली याचिका पांच वर्षीय बच्चे के पिता ने दायर की थी. एकल-न्यायाधीश ने कहा था कि किसी बच्चे को आधार कार्ड रखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और अगर वे अपना आधार प्रस्तुत करके पहचान स्थापित करने में विफल रहते हैं तो उन्हें किसी भी सब्सिडी या लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है.
दिल्ली सरकार ने इस आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि एकल न्यायाधीश उद्देश्यों को पर्याप्त रूप से समझने में विफल रहे हैं और आधार कार्ड या आधार संख्या की आवश्यकता एक व्यावहारिक उद्देश्य को पूरा करती है क्योंकि इसका उद्देश्य डुप्लिकेट आवेदनों को खत्म करना है.