Advertisement

2000 रुपये के नोट वापस लेने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट 29 मई को करेगा सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ से आरबीआई ने इस तथ्य के आलोक में सुनवाई टालने का अनुरोध किया कि नोट वापस लेने की अधिसूचना से संबद्ध अन्य जनहित याचिका (PIL) पर अदालत द्वारा फैसला सुरक्षित रखा गया है.

2000 Currency Notes

Written by My Lord Team |Published : May 27, 2023 12:21 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI) ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि 2000 रुपये के बैंक नोट को वापस लिया जाना ‘मुद्रा प्रबंधन’ कार्य है और यह आर्थिक नीति का विषय है. समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, अदालत ने मामले की सुनवाई 29 मई के लिए निर्धारित कर दी.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के आरबीआई के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ से आरबीआई ने इस तथ्य के आलोक में सुनवाई टालने का अनुरोध किया कि नोट वापस लेने की अधिसूचना से संबद्ध अन्य जनहित याचिका (PIL) पर अदालत द्वारा फैसला सुरक्षित रखा गया है. पीठ ने पक्षों से कहा, ‘‘विषय को सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया जाए.’’ पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल हैं.

Also Read

More News

एजेंसी के मुताबिक, आरबीआई के वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पराग पी त्रिपाठी ने कहा कि रजनीश भास्कर गुप्ता द्वारा दायर मौजूदा याचिका अनुपयुक्त है, क्योंकि 2000 रुपये के बैंक नोट वापस लिया जाना नोटबंदी (विमुद्रीकरण) नहीं, बल्कि ‘मुद्रा प्रबंधन’ कार्य है, और आर्थिक नीति का विषय है. उन्होंने कहा, ‘‘कथित नोटबंदी का यह मुद्दा एक पूर्ववर्ती रिट याचिका का विषय है, जिस पर आपने आदेश सुरक्षित रख लिया है. वह आदेश जारी होने दीजिए. उसके बाद इसकी सुनवाई करें.’’

खबरों की माने तो, इस हफ्ते की शुरूआत में, अदालत ने कहा था कि वह अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर आदेश जारी करेगी. याचिका में दावा किया गया है कि बगैर पहचान पत्र के 2000 रुपये के बैंक नोट की अदला-बदली करने के संबंध में आरबीआई और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा जारी अधिसूचनाएं मनमानी और भ्रष्टाचार की रोकथाम करने के लिए लागू कानूनों के खिलाफ हैं.

आरबीआई ने कहा था कि 2000 रुपये के नोट को वापस लेना नोटबंदी नहीं है, बल्कि एक सांविधिक कार्य है. उल्लेखनीय है कि 19 मई को आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि चलन में मौजूद ये नोट या तो बैंक खातों में जमा किये जाएं या 30 सितंबर तक इनकी अदला-बदली की जाए. आरबीआई ने एक बयान में कहा था कि 2000 रुपये के नोट की वैधता बनी रहेगी.

वहीं, एसबीआई ने अपने सभी स्थानीय मुख्य कार्यालयों के मुख्य महाप्रबंधकों को 20 मई को एक पत्र लिख कर उन्हें सूचित किया था कि लोग एक बार में 20,000 रुपये की सीमा तक 2000 रुपये के नोट की अदला-बदली कर सकेंगे और इसके लिए कोई पर्ची लेने की जरूरत नहीं होगी. पत्र में यह भी कहा गया था, ‘‘नोट की अदला-बदली के दौरान लोगों द्वारा कोई पहचान पत्र सौंपे जाने की जरूरत नहीं होगी.’’