सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही आबकारी नीति अनियमितताओं के मामलों में बीआरएस नेता के कविता को जमानत दे दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि कविता पांच महीने से न्यायिक हिरासत में है और मुकदमा पूरा होने में लंबा समय लगेगा क्योंकि 493 गवाह और कई दस्तावेज हैं. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 जुलाई को आबकारी नीति मामले से संबंधित सीबीआई और ईडी मामलों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी.
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने के कविता को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है. अदालत के सामने के कविता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस आधार पर उनकी जमानत की मांग की कि सह-आरोपी मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है.
सीनियर एडवोकेट रोहतगी ने दावा किया कि वह एक महिला और मौजूदा एमएलसी हैं और इसलिए उनके भागने की कोई संभावना नहीं है.
जस्टिस बीआर गवई ने हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी की कि विधायक या एमएलसी होने के नाते, व्यक्ति जानता है कि क्या सही है और क्या गलत है.
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कविता के खिलाफ फोन बदलने के आरोपों को फर्जी बताया क्योंकि लोग कार भी बदलते हैं. वह तत्कालीन मुख्यमंत्री की बेटी भी हैं,
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू: उसने फोन नष्ट कर दिया था और इसे फॉर्मेट कर दिया था.
रोहतगी: उसने इसे अपने नौकर को दे दिया था।
एएसजी राजू: यह एक आईफोन था.
रोहतगी: हाँ, तो क्या हुआ!
जस्टिस केवी विश्वनाथन: लोग संदेश हटाते हैं और उन्हें भी संदेश हटाने की आदत है.
एएसजी राजू: कोई व्यक्ति मैसेज डिलीट तो कर सकता है, लेकिन फोन को फॉर्मेट नहीं कर सकता.
एएसजी राजू ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि एजेंसी के पास अन्य आरोपियों के साथ उसके संबंध को दिखाने के लिए कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे में देरी देखते हुए बीआरएस नेता के कविता को जमानत दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने के कविता को जमानत देते हुए कुछ शर्ते भी लगाया है. जमानती शर्तों के अनुसार, सीबीआई और ईडी मामले में के कविता को दस-दस लाख का बेल बॉन्ड भरना होगा. उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ेगा. साथ ही मामले से जुड़े गवाहों और सबूतों को किसी तरह से प्रभावित करने से बचना होगा.