नई दिल्ली:कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से दायर अपील के विरोध में भाजपा नेता और शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी द्वारा अपना जवाब दाखिल करने के बाद सत्र अदालत आज सुनवाई करेगी.
अदालत ने राहुल गांधी की ओर से दायर अपील पर प्रतिवादी पक्ष के रूप में पूर्णेश मोदी को को अपना पक्ष रखने के लिए 10 अप्रैल तक का समय दिया था. वही सज़ा पर रोक संबंधी अपील पर सुनवाई की तारीख़ 13 अप्रैल तय की गई है.
मामले में राहुल की ओर से दायर नियमित जमानत आवेदन को मंजूर करते हुए अदालत ने राहुल गांधी को 13 अप्रैल की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने से छूट दी है, जिसके चलते राहुल गांधी पेश नहीं होेंगे.
बुधवार को सत्र अदालत में पेश किए गए जवाब में, भाजपा नेता ने राहुल गांधी पर अदालत में कांग्रेस नेताओं की परेड के जरिए अदालत पर दबाव बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा की गई टिप्पणी को लेकर बीजेपी के विधायक और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज की थी.
जवाब में कहा गया है कि "अपील दायर करते समय दोषी-अपीलकर्ता राहुल गांधी आचरण भी असाधारण अहंकार और अदालत पर दबाव डालने का सचेत प्रयास है.पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी द्वारा अदालत में आने के लिए रैली करने को एक गंदा, बचकाना प्रदर्शन बताया है."
अपील के जवाब में पूर्णेश मोदी ने का कि गांधी अहंकारी और अदालत के अनुचित रहे हैं क्योंकि वह और उनके सहयोगी और कांग्रेस पार्टी के नेता, उनके इशारे पर, अदालत के खिलाफ ही अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं.
जवाब में कहा गया है कि राहुल गांधी आपराधिक मानहानि के आदतन अपराधी रहे हैं क्योंकि उनके खिलाफ 10 से अधिक मामले लंबित हैं.
मोदी ने कहा कि राहुल गांधी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक आलोचना और असहमति के नाम पर इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना और मानहानिकारक बयान देने के आदी हैं, जो या तो दूसरों को बदनाम करते हैं या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं.
राहुल गांधी की ओर से दायर अपील में इस मानहानि के मुकदमें को पुरी तरह से पॉलिटिकली मोटिवेटेड बताया गया है. अपील पर सत्र अदालत ने मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी से जवाब पेश करने को कहा था.
सीनियर एडवोकेट आर.एस. चीमा, एडवोकेट किरीट पानवाला और एडवोकेट तरन्नुम चीमा की लीगल टीम के जरिए दायर की गई अपील में राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट में अपनी सजा को चैलेंज करते हुए कहा है कि केवल नरेंद्र मोदी ही उनके खिलाफ मानहानि का केस कर सकते हैं.
राहुल गांधी की लीगल टीम ने सजा को चुनौती देते हुए 7 प्रमुख तर्क दिए हैं.राहुल गांधी की लीगल टीम ने कोर्ट में तर्क दिया कि इस मामले में केवल नरेंद्र मोदी ही अपील कर सकते हैं. अपील में कहा गया कि मामले में पूर्णेश मोदी पीड़ित व्यक्ति नहीं थे और उन्हें शिकायत दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं था.
अपील में कहा गया कि आपराधिक कानून के तहत कोई भी केस कर सकता है लेकिन जहां तक धारा 499 औऱ 500 के तहत आपराधिक मानहानि का संबंध है, इस मामले में केवल पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत कर सकता है.
अपील में राहुल गांधी की ओर से कहा गया कि "इसलिए यह अदालतों पर निर्भर है कि वे भाषण के स्वर और भाव के बजाय दिए गए भाषण के सार और भावना पर ध्यान केंद्रित करें.
गौरतलब है कि चुनावी रैली के दौरान 'सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है' टिप्पणी के मामले में सूरत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी करार दिया था.
अदालत ने राहुल गांधी को इस मामले में दोषी घोषित करने के साथ ही 2 साल की सजा सुनाई थी.