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राजस्थान ADJ भर्ती-2020 मामले में कमेटी का गठन, Allahabad High Court के रिटायर CJ Govind Mathur करेंगे जांच

Rajasthan High Court में वर्ष 2020 के लिए हुई एडीजे भर्ती में मुख्य परीक्षा के लिए कुल 779 अभ्यर्थियो को योग्य माना गया था. लेकिन अंतिम साक्षात्कार के बाद कुल 85 पदों पर केवल 4 अभ्यर्थियो को ही नियुक्ति दी गई.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 19, 2023 9:34 AM IST

नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट ने एडीजे भर्ती-2020 में वकील कोटे के 85 पदों पर सिर्फ चार अभ्यर्थियों का ही चयन करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर की कमेटी का गठन किया है.

जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की पीठ ने मंगलवार को प्रदीप मलिक औरर रितु शर्मा सहित करीब 30 अभ्यर्थियो की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है.

पूर्व मुख्य न्यायाधीश की यह कमेटी एडीजे भर्ती परीक्षा में शामिल हुए सभी अभ्यर्थियो की कॉपियों का रेंडम तौर पर परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को पेश करेगी.

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85 पदों पर सिर्फ 4 नियुक्ति

गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा जारी वर्ष 2020 के लिए जारी की गई एडीजे भर्ती के 85 पदों के लिए आवेदन जारी किए थे. मामले में भर्ती की मुख्य परीक्षा के लिए कुल 779 अभ्यर्थियो को योग्य माना गया था. लेकिन अंतिम साक्षात्कार में केवल 4 अभ्यर्थियो को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था.

भर्ती परीक्षा के कुल 85 पदो में से 4 पदों पर ही नियुक्ति कि गयी थी और शेष 81 पद रिक्त रह गए. राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अभ्यर्थियो ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था.

याचिकाकर्ताओं की ओर से एडीजे भर्ती परीक्षा परिणाम को लेकर कहा गया कि भर्ती के पेपर लंबे थे और उनमें मार्किंग सख्त हुई थी. एडीजे भर्ती की कॉपियों को एडीजे स्तर के अधिकारियों ने ही चेक किया. जबकि इन कॉपियों को किसी विशेषज्ञ प्रोफेसर या पूर्व हाईकोर्ट जज से चेक कराई जानी चाहिए थी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिये थे आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाओं का निस्तारण करते हुए मामले को हाईकोर्ट को भेजते हुए आदेश दिया था कि विशेष बेंच का गठन कर इस मामले की सुनवाई की जाए.

हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज भंडारी की अध्यक्षता में गठित बेंच ने इस मामले की सुनवाई शुरू की. राजस्थान हाईकोर्ट में अभ्यर्थियो की ओर से अधिवक्ता कमलाकर शर्मा, आर के अग्रवाल और गिर्राज प्रसाद शर्मा ने दलीले पेश की.

याचिकाकर्ताओ ने हाईकोर्ट के समक्ष दलीले पेश की कि हाईकोर्ट ने परीक्षा की जांच के लिए तीन जजों की कमेटी बनाई थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई. इसके अलावा पदों के मुकाबले चार गुणा अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया. ऐसे में वकील कोटे के खाली पदों पर ग्रेस अंक देकर नियुक्ति दी जाए.

हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए फरवरी 2023 में भर्ती को लेकर हाईकोर्ट के परीक्षा रजिस्ट्रार से रिकॉर्ड तलब किया था. अदालत ने रजिस्ट्रार से पूछा था कि परीक्षा के प्रत्येक पेपर में अधिकतम कितने-कितने अंक आए और लिखित परीक्षा में कितने अभ्यर्थी शामिल हुए.

अब पूर्व सीजे करेंगे रिपोर्ट पेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर की एक सदस्य कमेटी का गठन किया है. जस्टिस माथुर एडीजे भर्ती परीक्षा से जुड़े सभी अ​भ्यर्थियो की उत्तर पुस्तिका का रेंडम आधार पर परीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करेंगे.

जस्टिस गोविंद माथुर मूल राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज है. वे 2 सितंबर 2004 को राजस्थान हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए थे. करीब 14 साल राजस्थान हाईकोर्ट में जज रहने के बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया.

21 नवंबर 2017 को उन्होने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली. 24 अक्टूबर 2018 को उन्हे इलाहाबाद हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

14 नवंबर 2018 को वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 13 अप्रेल 2021 को मुख्य न्यायाधीश के पद से ही सेवानिवृत हुए. सेवानिवृति के पश्चात जस्टिस गोविंद माथुर राजस्थान के जोधपुर में रह रहे है.