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बेअंत सिंह हत्याकांड: राजोआना की दया याचिका पर फैसला नहीं लेने के चलते SC ने केन्द्र सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर इस दरम्यान भी राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया जाता तो ऐसी सूरत में कोर्ट राजोआना की राहत की मांग पर विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई आज 18 मार्च के लिए स्थगित की है.

फांसी की सजा

Written by Satyam Kumar |Updated : January 20, 2025 12:11 PM IST

बालवंत सिंह राजोआना ने केन्द्र सरकार से सजा माफी की याचिका पर एक साल चार महीने तक जबाव नहीं मिलने को असाधारण और अत्यधिक देरी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. राजोआना ने दावा किया है कि उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने में हुई देरी उसे अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करती है. राजोआना नेदया याचिका पर फैसला लेने में अत्यधिक देरी का हवाला देते हुए मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है. राजोआना ने याचिका में दावा किया कि उसने लगभग 29 साल जेल में काटे हैं, जिनमें से 17 साल मौत की सजा के रूप में काटे हैं.

राजोआना की याचिका पर 18 मार्च को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने राजोआना की सजा माफी याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के लिए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी राजोआना की ओर से पेश हुए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केन्द्र सरकार की ओर से मौजूद रहे.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी: कुछ नहीं हुआ. माननीय अदालत ने उन्हें बहुत समय दिया.

एसजी तुषार मेहता: यह एक मौजूदा मुख्यमंत्री की हत्या है.

जस्टिस गवई: हम आपको आखिरी मौका देंगे या फिर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेंगे. हम इस पर 18 मार्च को सुनवाई करेंगे.

रोहतगी: मेडिकल रिपोर्ट आने दीजिए

मेहता: मानसिक क्षमता पर मेडिकल रिपोर्ट नहीं आ सकती,

जस्टिस गवई: या तो आप इस पर फैसला करें या हम मामले के गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेंगे.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति दफ्तर से आग्रह किया कि वो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर दो हफ्ते में फैसला लेने का कष्ट करें.  वहीं, केंद्र सरकार की ओर से इस मसले ओर अपना रुख साफ न करने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर इस दरम्यान भी राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया जाता तो ऐसी सूरत में कोर्ट राजोआना की राहत की मांग पर विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई आज 18 मार्च के लिए स्थगित की है.

क्या है मामला?

31 अगस्त 1995 के दिन चंडीगढ़ में सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के सीएम बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. जुलाई, 2007 में एक विशेष अदालत ने राजोआना को बेअंत सिंह की साजिश में संलिप्त पाते हुए मौत की सजा सुनाई. राजोआना ने इसी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है. मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने संविधान के अनुच्छेद 72 (Article 72) के तहत उसकी तरफ से एक दया याचिका दायर की थी, जो याचिका पिछले एक साल से लंबित है.