आज बुधवार (15 जनवरी) के दिन सुप्रीम कोर्ट ने CLAT-2025 के परिणामों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में, सुनवाई के लिए, स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की है. क्लैट 2025 परीक्षा दिसंबर 2024 में विभिन्न राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की गई थी. इस परीक्षा के परिणाम में कई खामियों का दावा करते हुए अलग-अलग राज्यों के छात्रों ने राहत की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इससे संबंधित कई उच्च न्यायालयों में याचिकाएं लंबित हैं, जिस पर एक साथ सुनवाई करने को लेकर ‘कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज’ (CLNU) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है.
भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने याचिकाओं के स्थानांतरण के लिए नोटिस जारी किया. बेंच ने आदेश दिया कि विभिन्न अदालतों में लंबित याचिकाएं पर एक हाईकोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोटिस पर 3 फरवरी 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में जबाव दाखिल किया जाए.
कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने सभी याचिकाओं को एकत्रित करने और उन्हें सुप्रीम कोर्ट या किसी विशेष उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की.
सुनवाई के दौरान जैसे ही मामला उठाया गया, मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि बेंच किसी विशेष हाईकोर्ट में मामले को भेजने के लिए इच्छुक है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले इसी तरह की एक याचिका को सुनने से मना किया था. भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच के विचार से सहमति जताते हुए पूछा कि क्या याचिकाएं कर्नाटक हाईकोर्ट में भेजी जा सकती हैं.
सीजेआई ने कहा कि इस मामले से संबंधित पहली याचिका पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई थी. उन्होंने कहा कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में मामले के निपटारे का दर अन्य अदालतों की तुलना में अधिक है. इस पर कुछ छात्रों के वकीलों ने अनुरोध किया कि दिल्ली हाईकोर्ट को चुना जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही आदेश पारित किया है कि इस मामले में दो उत्तर गलत हैं.
एक वकील ने कहा कि हम हाथ जोड़कर अनुरोध कर रहे हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने उत्तर दिया कि कानून के छात्रों को हाथ नहीं जोड़ना चाहिए.