Citizenship Amendment Act: केन्द्र में भाजपा नीत सरकार है. सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में CAA लागू करने को लेकर शुरू से ही मुखर है. केन्द्र ने बीते रात (11 मार्च, 2024) के दिन CAA को अधिसूचना जारी की. अधिसूचना में CAA को लागू होने की बात कही. बता दें कि 11 दिसंबर, 2019 के दिन CAA को दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद, उसी दिन राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद भी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी थी. इस बार IUML ने बीते दिन जारी नियमों को चुनौती दी है.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), एक राजनीतिक पार्टी है. IUML ने सुप्रीम कोर्ट में CAA को लागू करने से रोक लगाने की मांग की है. याचिकाकर्ता ने मुस्लिम समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव की बात भी कही है.
CAA नागरिकता देने का कानून है.यह नागरिकता कानून हिंदूओं, जैन, बौद्ध और ईसाईयों पर लागू होगी. यह कानून दिसंबर, 2014 से पहले या बाद में, पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले लोगों पर लागू होगी. नागरिकता देने के कानून में मुस्लिम समुदाय पर लागू नहीं होगी.
मुस्लिम समुदाय को इस कानून से बाहर रखने पर देश भर में आंदोलन हुए.
नागरिकता संशोधन कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी पहले ही मिल गई थी. पहली बार, जब सुप्रीम कोर्ट ने IUML की याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र से जबाव तलब की थी. केन्द्र ने जबाव दिया. CAA कानून को लागू करने के लिए नियमों को पूरी तरह से तैयार नहीं किया गया है. इसलिए लागू करने में अभी देरी होगी.
केन्द्र ने सोमवार (11 मार्च, 2024) के दिन नियमों की अधिसूचना जारी की. जिससे यह कानून लागू हुआ हैं. अब IUML ने इन नियमों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
IUML ने नियमों को चुनौती दिया है. IUML ने इन नियमों को भेदभावपूर्ण बताया है. याचिकाकार्ता ने संविधान की अनुच्छेद 14 और 15 के तहत इसे भेदभाव पूर्ण बताया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि मुस्लिम समुदाय इस कानून के तहत नागरिकता लेने से वंचित होंगे.
CAA के माध्यम से भारत के पड़ोसी देशी में अल्पसंख्यक हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई को नागरिकता देती हैं. इसमें भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है.