सोमवार (16 दिसंबर, 2025) के दिन यानि कल सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करेगी कि क्या मस्जिद में 'जय श्री राम' के नारे लगाना अपराध है? सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की गई है, जिस आदेश में हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर 'जय श्री राम' के नारे लगाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता के दलीलों को आधार बनाते हुए कहा कि जब वे खुद कह रहे हैं कि हिंदू-मुस्लिम, दोनों समुदाय आपस में सामंजस्य के साथ रह रहे हैं, तो जय श्री राम के नारे लगाने से धार्मिक भावनाएं कैसे आहत होगी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुकदमे को बरकार रखने के लिए आवश्यक तत्वों की कमी पाते हुए मुकदमे को खारिज करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में पंकज मिथल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष इस मामले को सुनवाई के लिए रखा जाएगा. अपीलकर्ता ने दावा किया है कि अपराध की पहचान के लिए यह देखना जरूरी नहीं है कि FIR में आरोपित अपराधों के तत्व पूरे होते हैं या नहीं, बल्कि यह देखना आवश्यक है कि क्या आरोप स्वयं में संज्ञानीय अपराधों की ओर इशारा करते हैं. शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने यह तय करने में एक अजीब दृष्टिकोण अपनाया कि क्या मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाना एक धार्मिक वर्ग का अपमान है. उन्होंने इस पर चिंता जताई कि ऐसे अनावश्यक टिप्पणियां समाज में असामाजिक तत्वों को प्रोत्साहित कर सकती हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर नारे लगाने को लेकर दो व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने कहा कि यह समझ से बाहर है कि 'जय श्री राम' के नारे लगाने से किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस कैसे पहुंचाई जा सकती है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा,
"अगर कोई 'जय श्री राम' का नारा लगाता है, तो ऐसा करना धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाता है, जब शिकायतकर्ता ने खुद कहा कि हिंदू और मुसलमान क्षेत्र में सामंजस्य में रह रहे हैं."
अदालत ने प्राथमिकी रद्द करने के आदेश देते हुए कहा कि लगाए गए आरोपों के लिए आवश्यक तत्व मौजूद नहीं हैं और आगे की कार्यवाही करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.
शिकायत के अनुसार, यह घटना 24 सितंबर 2023 की रात को हुई, जब कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने ऐटूर गांव में स्थित मस्जिद में प्रवेश किया. घटनास्थल पर लोगों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए और बेरिय समुदाय के लोगों को धमकी दी. मस्जिद के इमाम, नौशाद सखाफी उस्ताद और हैदर अली सीएम ने नारे सुनकर मस्जिद से बाहर आए, जिसके बाद हैदर अली ने सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद अगले दिन शिकायत दर्ज कराई, जिसमें युवाओं को बाइक पर मस्जिद के चारों ओर घूमते हुए देखा गया था.
अदालत ने मुकदमे को जारी रखने के लिए उचित तथ्यों की कमी पाते हुए दोनों व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश दिया है.