Transgender councillor Bobi Kinnar: ट्रांसजेंडर पार्षद बोबी किन्नर को मंगलवार को रोहिणी कोर्ट से जाति प्रमाण पत्र मामले में अग्रिम जमानत मिल गई है. कोर्ट ने बोबी किन्नर को यह कहते हुए राहत दी है कि कि मामला डॉक्यूमेंट्स पर आधारित है और गवाहों को धमकाने की कोई गुंजाइश नहीं है. जाति प्रमाण पत्र मामले में बोबी किन्नर के खिलाफ सुल्तान पुरी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसके बाद उसने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था.
रोहिणी कोर्ट में एडिशनल सेशन जज (एएसजे) कपिल कुमार ने बोबी किन्नर को अग्रिम जमानत दी है. अदालत ने कहा कि यह मामला दस्तावेज आधारित है. पहला तथ्य यह है कि वर्तमान मामले में मुख्य रूप से दस्तावेजी साक्ष्य शामिल है, जिसे उत्तर प्रदेश में संबंधित प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जिसके आधार पर संबंधित प्रमाण पत्र जारी किया गया था और प्रमाण पत्र जारी करने के तथ्य को सत्यापित किया जाना है.
कोर्ट ने कहा,
"प्रथम दृष्टया गवाहों को धमकाने की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि बेशक गवाह सरकारी अधिकारी हैं और रिकॉर्ड के अनुसार, शिकायतकर्ता ने चुनाव में आवश्यक दस्तावेज पेश किए गए होंगे."
अदालत ने तथ्यों और जांच अधिकारी के इस तर्क पर विचार करते हुए कि जांच के इस चरण में आरोपी से हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है, इस अदालत की सुविचारित राय में, आवेदक अगली सुनवाई की तारीख (एनडीओएच) तक गिरफ्तारी से अग्रिम जमानत की हकदार है.
अदालत ने पार्षद के खिलाफ किसी कठोर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि आवेदक आज जांच में शामिल हुए, क्योंकि उन्हें जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था और वे आईओ द्वारा आवश्यक होने पर जांच में शामिल होते रहेंगे और जांच में सहयोग करेंगे. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख तय की है.
शनिवार को जांच अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए और कहा कि पहले वे आवेदक के जाति प्रमाण पत्र की जांच करेंगे और उसके बाद कानून के मुताबिक जरूरी कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वे छुट्टी पर हैं और मंगलवार को जवाब दाखिल करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे मंगलवार तक बोबी को गिरफ्तार नहीं करेंगे. बोबी के वकील अमित कुमार ने कहा कि शिकायतकर्ता ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करके झूठी एफआईआर दर्ज कराई है.