सुप्रीम कोर्ट ने आज यासीन मलिक की अदालत में व्यक्तिगत पेशी पर रोक लगाने की मांग से हैरानी जताते हुए कहा है कि बिना व्यक्तिगत पेशी के अदालत में क्रॉस एग्जामिनेशन कैसे संभव हैं?.. हमारे देश में तो अजमल कसाब को फेयर ट्रायल का मौका मिला है. सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी केन्द्रीय अन्वेशषण ब्यूरो (CBI) की अपील पर आया है, जिसमें केन्द्रीय एजेंसी ने जम्मू में कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को शारीरिक रूप से पेश करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश का विरोध किया है. टाडा कोर्ट ने 1989 में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या से संबंधित मुकदमे में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का आदेश दिया था.
जस्टिस ओक और जस्टिस जार्ज अगस्टीन मसीह की पीठ ने कहा कि बिना व्यक्तिगत पेशी के क्रॉस एग्जामिन कैसे होगा. पीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब तक को निष्पक्ष ट्रायल का मौका दिया गया है. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के लिए जेल के अंदर ही कोर्ट बनाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (SG) से कहा है कि वो मामले में बचे हुए गवाहों और यासीन के साथ सह आरोपी बनाए गए लोगों के बारे में जानकारी कोर्ट को सौंपे. कोर्ट को बताइए कि कितने गवाहो को सुरक्षा की ज़रूरत है. कोर्ट अगले गुरुवार को दोबारा सुनवाई करेगा.
CBI ने जम्मू कश्मीर के टाडा कोर्ट के सितम्बर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमे कोर्ट ने इंडियन एयर फोर्स के चार जवानों की हत्या और रुबैया सईद के अपहरण के मामले में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था. CBI ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की जम्मू कश्मीर की टाडा कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी का विरोध किया है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यासीन मलिक कोई आम आतंकवादी नहीं है. वो लगातार पाकिस्तान जाता रहा है. हाफिज सईद के साथ उसने मंच साझा किया है. हम उसे जम्मू कश्मीर नहीं ले जाना चाहते है. उसके जम्मू कश्मीर जाने से वहां का माहौल बिगड़ सकता है. अगर वो व्यक्तिगत पेशी पर ही अड़ा हुआ है तो फिर ट्रायल यहां दिल्ली ट्रांसफर किया जा सकता है.
(खबर इनपुट के आधार पर लिखी गई है)