नई दिल्ली: फर्जी खबर प्रसारित करने के आरोप में जेल में बंद यूट्यूबर (YouTuber) मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.
यूट्यूबर मनीष कश्यप को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि आप एक शांत प्रदेश में इस तरह से आग नही लगा सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप के वकील से कहा है कि राहत के लिए वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए.
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों के फर्जी वीडियो प्रसारित करने के आरोपी मनीष कश्यप को बड़ा झटका देते हुए उसके खिलाफ अलग अलग जगहो पर दर्ज एफआईआर को एक साथ करने से भी इंकार कर दिया है.
सीजेआई की पीठ ने कश्यप की इस मांग से इंकार करते हुए एफआईआर को एकसाथ कराने की याचिका को खारिज कर दिया है.
इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत मामला दर्ज किए जाने के मामले में भी मनीष कश्यप को राहत देने से इंकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कश्यप को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया है.
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आप तमिलनाडु जैसे स्थिर राज्य में अशांति पैदा नहीं कर सकते'
सीजेआई ने कहा कि आप बेचैनी पैदा करने के लिए कुछ भी प्रसारित करते हैं... हम इस पर कान नहीं लगा सकते.
CJI ने पूछा कि अगर आप ये फर्जी वीडियो बनाते है तो "क्या करना है?
मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में बिहारियों के साथ कथित हिंसा के मामले में फर्जी वीडियो वायरल करने का आरोप है. बिहार के साथ-साथ तमिलनाडु में भी उस पर कई मामले दर्ज किए गए हैं.
केवल तमिलनाडु में ही मनीष कश्यप के खिलाफ करीब 13 मामले दर्ज हैं. बिहार की अदालत ने तमिलनाडु पुलिस को 31 मार्च तक मदुरै की अदालत में पेश करने का आदेश दिया था.