नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत नही मिली है. हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गयी 2 साल की सजा पर अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है.
Justice Hemant Prachchhak की एकलपीठ ने राहुल गांधी की ओर से जिला सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.
हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के मूल रिकॉर्ड और कार्यवाही का विवरण का रिकॉड तलब किया है.
फैसला सुरक्षित रखने से पूर्व Justice Hemant Prachchhak ने राहुल गांधी के पक्ष में कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अदालत के ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अदालत के फिर से खुलने के बाद इस मामले में फैसला सुनाऐंगे.
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट में वार्षिक कैलेण्डर के अनुसार 6 मई से 4 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश है, अवकाश पर जाने से पूर्व 5 मई को हाईकोर्ट में अंतिम कार्यदिवस है और अवकाश के बाद 5 जून को अदालतें खुलेगी.
राहुल गांधी की अपील पर अब अवकाश के बाद 5 जून को भी फैसला सुनाया जा सकता है. Justice Hemant Prachchhak ने कहा कि वे छुट्टियों का उपयोग सभी दलीलें पढने और तैयार करने में करेंगे और अवकाश के बाद इसे सुनायेंगे.
सूरत की सत्र अदालत ने 20 अप्रैल को राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा दी गयी दो साल की सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी।
सत्र अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि गांधी की अयोग्यता उनके लिए अपूरणीय या अपरिवर्तनीय क्षति नहीं होगी और उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
गौरतलब है कि 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा की गई टिप्पणी को लेकर बीजेपी के विधायक और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज की थी.
चुनावी रैली के दौरान 'सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है' टिप्पणी के मामले में सूरत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी करार दिया था.
अदालत ने राहुल गांधी को इस मामले में दोषी घोषित करने के साथ ही 2 साल की सजा सुनाई थी.
मानहानि केस में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ राहुल गांधी की अपील को सूरत सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया था, सूरत की सेशन कोर्ट के जज आरपी मोगेरा ने 20 अप्रैल को राहुल की अपील को खारिज करने का फैसला सुनाया था. जिसके बाद राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
यह केस 2019 में बेंगलुरू में चुनावी रैली के दौरान दिए गए राहुल के बयान से जुड़ा है.राहुल ने रैली में कहा था कि हर चोर का सरनेम मोदी क्यों होता है. इस बयान पर गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दाखिल किया था.
मानहानि का मामला भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने दायर किया था, जिन्होंने दावा किया था कि गांधी के बयान ने मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है. अदालत ने गांधी को आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत दोषी पाया था.
इसी साल 23 मार्च को अदालत ने फैसला सुनाते हुए राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी, लोकसभा सचिवालय ने इस फैसले के अगले ही दिन 24 मार्च को राहुल गांधी की सांसद सदस्यता को रद्द कर दिया था.