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दिल्ली पुलिस को SC से बड़ा झटका,आसिफ तन्हा, देवांगना और नरवाल की जमानत के खिलाफ याचिका खारिज

दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते अपनी दलील में कहा कि दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे. पुलिस ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा फैसले में की गयी व्याख्या आतंकी मामलों में अभियोजन को कमजोर करेगी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : May 2, 2023 4:43 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली दंगो के मामले में दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली दंगो के मामले में आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर ​दिया है.

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के मामले में आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जमानत दी थी, इन तीनों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.

दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते अपनी दलील में कहा कि दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे. पुलिस ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा फैसले में की गयी व्याख्या आतंकी मामलों में अभियोजन को कमजोर करेगी.

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जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने दिल्ली पुलिस की अपील को खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश मुख्य रूप से गुण-दोष पर विस्तृत चर्चा के कारण मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा.पीठ ने कहा कि "अंतरिम आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जमानत की सुनवाई में किसी कानून की व्याख्या और विचार व्यक्त नहीं किया जाना चाहिए.

हाईकोर्ट ने दी थी जमानत

गौरतलब है कि फरवरी 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुए दंगों के लिए जिम्मेदार बताते हुए दिल्ली पुलिस ने कलिता, नरवाल और तनहा को मई 2020 में गिरफ्तार किया था. एक साल से भी अधिक समय तक हिरासत में रहने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 जून 2021 को तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया था.

जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कई टिप्पणियां की थी, हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य ने असहमति को दबाने की अपनी चिंता में, संवैधानिक रूप से गारंटीकृत विरोध और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है.\

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि तीनों के खिलाफ इस मामले में रिकॉर्ड सामग्री के आधार पर यूएपीए की धारा 15, 17 या 18 के तहत प्रथम दृष्टया कोई अपराध नहीं बनता है.

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जून 2021 में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किए थे.