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पति के खिलाफ नाबालिग बहन से दुष्कर्म का झूठा मामला दर्ज कराने पर महिला को हुई सजा, अर्थदंड भी लगा

अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले की एक अदालत ने हाल ही में एक महिला को एक महीने की जेल की सजा सुनाई है और उसपर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि इस महिला ने अपने पति पर अपनी नाबालिग बहन के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था और मामला दर्ज किया था जो झूठा था...

Woman Jailed for Registering false case of rape against husband

Written by Ananya Srivastava |Published : July 28, 2023 1:36 PM IST

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग जिले की एक अदालत ने पति के खिलाफ अपनी नाबालिग बहन से दुष्कर्म का झूठा मामला दर्ज कराने पर एक महिला को एक महीने जेल की सजा सुनाई, साथ ही अर्थदंड भी लगाया है।

न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, पासीघाट में बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) अदालत के विशेष न्यायाधीश तागेंग पडोह ने आरोपी महिला को सजा सुनाते हुए उस पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. अदालत ने उसकी बहन को सजा नहीं सुनाई क्योंकि वह नाबालिग है और अधिनियम के तहत संरक्षित है।

न्यायाधीश ने का कि, ‘‘कानून का उद्देश्य बहुत स्पष्ट है कि पोक्सो का किसी भी व्यक्ति द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।’’

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कोर्ट से नरमी बरतने का अनुरोध करते हुए दोषी के वकील ने कहा कि आरोपी के ऊपर उसके पति द्वारा की गयी कथित घरेलू हिंसा की बार-बार पुलिस में शिकायत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला जिसके कारण उसने यह कदम उठाया।

इस महीने की शुरुआत में संबंधित व्यक्ति की पत्नी की छोटी बहन (साली) ने दुष्कर्म का झूठा मामला दर्ज कराया था। पोक्सो अधिनियम के विशेष लोक अभियोजक संजय ताये ने कहा कि सजा देने में कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए क्योंकि इससे एक गलत संदेश जाएगा और लक्षित व्यक्तियों के खिलाफ कष्टप्रद और झूठे मुकदमे बढ़ जाएंगे।

न्यायाधीश पडोह ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दोषी के पास घरेलू हिंसा से निपटने के लिए एक वैकल्पिक रास्ता था लेकिन उसने इसका सहारा नहीं लिया। इसके बजाय आरोपी ने एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ अपराध को संज्ञान में लाने के लिए कानून के प्राधिकार एवं क्रियान्वयन एजेंसी को गुमराह किया और उनका दुरूपयोग किया जो कि पोस्को अधिनियम का उद्देश्य नहीं है।’’

गौरतलब है कि दोषी महिला की सह-अभियुक्त बहन को सजा नहीं दी गई क्योंकि वह नाबालिग है और अधिनियम के दायरे में आने वाले किसी भी अपराध से बच्चों को संरक्षण दिया जाता है।