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देश के सभी High Court तीन माह में Online RTI पोटर्ल स्थापित करे- Supreme Court

देश में आरटीआई कानून लागू होने के बाद नियमों की पालना नही होने पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में देश के सभी हाईकोर्ट के साथ साथ जिला अदालतों में भी Online RTI पोटर्ल स्थापित करने की मांग गई.

Written by Nizam Kantaliya |Published : March 21, 2023 9:37 AM IST

नई दिल्ली: देश में वर्ष 2005 में  RTI कानून लागू हुए होने के 17 साल बाद भी कई High Court में ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित नहीं किए गए है. अब इस मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी हाईकोर्ट को आदेश दिए है कि वह अगले तीन माह में भीतर ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित करें.

देश में वर्तमान में कुछ हाईकोर्ट में ही RTI Online पोर्टल संचालित हो रहे है.जबकि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के मुख्य न्यायाधीश बनने के साथ ही इस पर तेजी से कार्य शुरू किया गया था.

नवंबर में हुआ था SC में लॉंच

सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के 9 नवंबर 2022 को शपथ लेने के करीब दो सप्ताह बाद ही 24 नवंबर 2022 से सुप्रीम कोर्ट में आनलाइन RTI पोर्टल लॉन्च किया गया था.

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इस पोर्टल के जरिए एप्लिकेशन फाइल करने वाला निर्धारित शुल्क का भुगतान कर सूचना अधिकार कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से जानकारी हासिल कर सकता है. आवेदन के साथ यह शुल्क 10 रूपए का होता है जो इंटरनेट बैंकिंग, मास्टर/वीजा या यूपीआई के क्रेडिट/डेबिट कार्ड के माध्यम से किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के बाद अब देश के सभी हाईकोर्ट में RTI कानून के तहत जानकारी हासिल की जा सकेगी.

सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे पी पारदीवाला की पीठ ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को भी जिला न्यायपालिका के लिए भी ऐसे RTI पोर्टल स्थापित करने के निर्देश दिए है.

18 राज्यों ने किया जवाब पेश

देश में आरटीआई कानून लागू होने के बाद नियमों की पालना नही होने पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में देश के सभी हाईकोर्ट के साथ साथ जिला अदालतों में भी Online RTI पोटर्ल स्थापित करने की मांग गई.

सुनवाई के बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, जिसके जवाब में 18 राज्यों ने अपना जवाब पेश किया है. यह भी जानकारी सामने आई की देश के दिल्ली, मध्य प्रदेश और उड़ीसा हाईकोर्ट ने ही आरटीआई के लिए वेबसाइट स्थापित की है.कर्नाटक राज्य सरकार के पोर्टल का उपयोग कर रही है.

सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आने पर की देश के कई कुछ हाईकोर्ट में ही यह व्यवस्था स्थापित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून लागू हुए 17 ​साल बित जाने के बाद भी कुछ हाईकोर्ट द्वारा ही ऐसा किया जाना उचित नहीं है, जबकि देश की सर्वोच्च अदालत भी Online RTI पोटर्ल स्थापित कर चुकी है.