सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन (Udhayanidhi Stalin) के बयान पर चिंता जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों (Freedom of Speech and Expressions) का दुरूपयोग किया है. उदयनिधि द्वारा सनातन धर्म से जुड़े विवादित बयान देने पर चेताया है. सुप्रीम कोर्ट द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें सनातन धर्म के प्रति विवादित बयानों पर हुए सभी एफआईआर को एक-साथ जोड़ने की मांग थी.
जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. बेंच ने उदयनिधि को चेताया. कोर्ट ने कहा कि उन्हें अपने बयानों के परिणामों के प्रति जिम्मेदार रहने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने आर्टिकल 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और आर्टिकल 25 (लोक व्यवस्था के दायरे में रहकर धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार) के उल्लंघन की बात कहीं है.
बेंच ने कहा,
“आपने 19(1)ए और 25 के तहत अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है! तुम्हें पता है तुमने क्या कहा है और अब 32 के नीचे आ गये हो? आपको अपने बयानों के परिणामों का एहसास होना चाहिए था, आप एक मंत्री हैं, आम आदमी नहीं.”
27 नवंबर 1977 को जन्मे उदयनिधि स्टालिन द्रविड मुनेत्रम कड़गम (द्रमुक) पार्टी के नेता हैं. वर्तमान में वह तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री हैं. उदयनिधि के पिता एमके स्टालिन डीएमके चीफ और तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं. वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ नेता स्वर्गीय एम करुणानिधि के पोते हैं.
2 सितंबर, 2023 का दिन था. चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोसिएशन ने एक सम्मेलन का आयोजन किया था. सम्मेलन में द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन एक वक्ता थे. उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा था कि कुछ चीजों का न केवल विरोध किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें खत्म किया जाना चाहिए.
उदयनिधि स्टालिन ने कहा,
“सनातन का विरोध नहीं, उसे जड़ से खत्म करना होगा. कुछ चीजों का केवल विरोध नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें जड़ से खत्म किया जाना चाहिए. हम डेंगू, मलेरिया या कोरोना वायरस का विरोध नहीं कर सकते. हमें इसे खत्म करना होगा. इसी तरह सनातन को खत्म करना हैं.”
उदयनिधि के इस बयान ने देश भर से नाराजगी के स्वर उठने लगे. वहीं, धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए कई जगह एफआईआर की गई. उदयनिधि ने इन्हीं एफआईआर को एक साथ लाने की मांग सुप्रीम कोर्ट में की है.
बयान के कुछ दिनों बाद ही, 14 सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जजों सहित 262 व्यक्तियों ने एक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट से स्टालिन की विवादास्पद बयान पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने की मांग की थी. कई राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआऱ हुई. साथ ही मद्रास हाईकोर्ट में उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका भी लंबित है.