नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस रविन्द्र भट ने दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग बच्चियों को लेकर अहम बयान दिया है. जस्टिस रविन्द्र भट ने कहा कि पोक्सो एक्ट के लिए जितना महत्वपूर्ण दुष्कर्म के आरोपियों को सजा दिलाना है उससे भी ज्यादा पोक्सो मामले में दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग बच्चियों का इलाज और उसका समाज में पुर्नवास करना जरूरी है.
जस्टिस रविन्द्र भट शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन जुवेनाइल जस्टिस और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित POCSO अधिनियम की दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. जस्टिस भट सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन जुवेनाइल जस्टिस के चैयरमेन के तौर पर सम्मेलन को संबोधिात कर रहे थे.
जस्टिस रविन्द्र भट ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि पोक्सो के मामले में हमारा सभी का ध्यान एकतरफा केवल अपराधियों को सजा दिलाने की तरफ है.जबकि ऐसे मामलो में पीड़ित के लिए भी उतना ही ध्यान दिए जाने की जरूरत है. क्योकि इन मामलों में पीड़ित छोटी बच्चिया या बच्चे होते है और उनके साथ बेहद क्रुरत और घिनौना अपराध हुआ होता है.
जस्टिस भट ने कहा कि हमें बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए पुर्नवास का भी विशेष ध्यान रखना होगा.हमें इन बच्चों के अधिकारों को केन्द्र में रखकर दृष्टिकोण रखना ही संतुलित किशोर न्याय प्रणाली के स्तंभ होगा. जस्टिस भट ने कहा कि इस बात की समीक्षा की आवश्यकता है कि कैसे समाज के अलग अलग हितधारक ऐसे मामलो के प्रति अनुकूल हो रहे है.
जस्टिस भट ने कहा कि पोक्सो एक्ट बच्चों के लिए सही अर्थ में न्याय सुनिश्चित करता है हमें बच्चों के दिल की बात को समझकर उनकी सुरक्षा करनी होगी.
जस्टिस रविन्द्र भट ने सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन जुवेनाइल जस्टिस के चैयरमेन के नाते इस बात पर संतोष जताया कि देश के अलग अलग राज्यों में पोक्सो अदालतों के बुनियादी ढांचे के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है. लेकिन साथ ही उन्होने ये भी आहवान किया कि अभी भी बच्चों की सहायता और उन्हे अंतिम मुआवजे के आसान भुगतान के लिए बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है.
दो दिवसीय इस सम्मेलन में उद्घाटन सत्र के बाद POCSO अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जा रहा है.