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इसरो जासूसी केस: पुलिस और खुफिया ब्यूरो के 4 पूर्व अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका,

वैज्ञानिक नंबी नारायणन को जासूसी केस में फंसाने वाले 4 आरोपियों को HC द्वारा मिली अग्रिम जमानत के आदेश को SC ने रद्द कर दिया है.

Written by nizamuddin kantaliya |Published : December 2, 2022 12:47 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने इसरो जासूसी मामले के चार आरोपियों को मिली जमानत में आज बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पुलिस और खुफिया ब्यूरो के 4 पूर्व अधिकारियों को केरल हाईकोर्ट द्वारा मिली अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया है.ये आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की ओर से दायर कि गयी अपील पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

हाईकोर्ट ने दी थी जमानत

केरल हाईकोर्ट ने पिछले साल अगस्त माह में चारों आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी थी. पुलिस और खुफिया ब्यूरो में शामिल केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज, गुजरात के पूर्व एडीजीपी आर बी श्रीकुमारर, पीएस जयप्रकाश, और थम्पी एस दुर्गा दत्त शामिल थे.

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सीबीआई ने केरल हाईकोर्ट के आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर अदालत को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश उन्हें साक्ष्य एकत्र करने और अभियुक्तों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने से रोकता है, जिसके चलते सीबीआई इस केस की निष्पक्ष जांच नहीं कर पा रही हैं.

सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिबल ने सीबीआई की याचिका का विरोध करते किया और कहा कि सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में केवल एक अपराध ही गैर जमानती है और अन्य सभी मामलों में जमानती अपराध हैं.जिसके देखते हुए केरल हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत का आदेश दिया था और हाईकोर्ट का आदेश सही था.

4 सप्ताह में करें सुनवाई

दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने केरल हाईकोर्ट द्वारा दिए गए अग्रिम जमानत के आदेश को रदृद कर दिया. इसके साथ ही पीठ ने मामले को पुन: हाईकोर्ट को वापस भेजते हुए इस मुद्दे पर नए सिरे से सुनवाई करते हुए चार सप्ताह में फैसला करने का आदेश दिया हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट द्वारा मामला सुने जाने तक चारो आरोपियों को 5 सप्ताह तक गिरफतार नही करने के भी आदेश दिए है.

1994 का मामला

गौरतलब है कि वर्ष 1994 में इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस नंबीनारायणन को एक अन्य वरिष्ठ अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारी और मालदीव की दो महिलाओं के साथ जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 1995 में उन्हें सीबीआई ने बरी कर दिया था लेकिन एस नंबीनारायणन ने उन लोगों के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखी जिन्होंने उनको इस केस में फंसाया था.

सितम्बर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वैज्ञानिक एस नंबीनारायणन के खिलाफ केरल पुलिस द्वारा कि गयी कार्यवाही को बेबुनियाद बताते हुए 50 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज डी के जैन की अध्यक्षता में एक तीन सदस्य पैनल का भी गठन किया था.

सीबीआई कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को आगे की कार्यवाही जारी रखने का आदेश दिया था जिसके बाद सीबीआई ने केरल पुलिस के कई पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करते हुए एफआईआर भी दर्ज की. एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने अगस्त माह में चारों आरोपियों की ओर पेश कि गयी अग्रिम जमानत याचिकाओं को मंजूर किया था.