अगर आप अपना वाहन किसी को बेच रहे हैं या सेकेंड हैंड खरिद रहे रहे हैं. तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें. नहीं तो आगे चलकर आपको कई तरह की कानूनी परेशानी हो सकती है.
आजकल सेकेंड हैंड वाहन खरीदने का ट्रेंड चला हुआ है. कई बार ऐसा करते वक्त हम कुछ बातों को नजरअंदाज कर देते हैं. जिसका हर्जाना हमें बाद में भरना पड़ता है. जब भी आप किसी से सेकेंड हैंड वाहन खरीदे या बेचें तो आरसी ट्रांसफर जरूर करवाएं. नहीं तो Section 2(30) मोटर व्हीकल एक्ट-1988 के तहत आपको भारी नुकसान हो सकता है.
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 भारत के संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है. जिसे केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम भी कहते है. इस एक्ट के Section 2(30) में इस बात का जिक्र है कि वाहन का मालिक वही माना जाता है जिसके नाम पर वाहन की RC होती है. इसलिए वाहन के साथ अगर कुछ भी होता है या किसी तरह के अपराध में शामिल पाया जाता है तो उसकी जवाबदेही मालिक की ही होगी.
यानी आपके द्वारा अगर कोई वाहन बेच दिया गया है लेकिन खरीदने वाले व्यक्ति ने RC को अपने नाम पर ट्रांसफर नहीं किया है और इसी बीच उस वाहन से कोई दुर्घटना हो जाती है. ऐसी स्थिती में वाहन मालिक होने के नाते पीड़ित या पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
ऐसे मामलों में आपको बिना किसी कारण के भी अदालत के चक्कर काटने होंगे और आपको साबित करना होगा कि उस घटना से पूर्व आपने उस वाहन को बेच दिया था.
जब आप किसी भी वाहन की खरीद करते है तो सबसे पहले उसे क्षेत्रिय यातायात कार्यालय से उसका रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होता है.जिस तरह से आप अपने मकान के मालिक होने पर उसका पट्टा या रजिस्ट्री अपने नाम कराते है उसी तरह से एक वाहन के लिए भी आपको रजिस्ट्रेशन की आवश्यक्ता होती है. जिसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र कह सकते है.
ये वाहन से जुड़ा सबसे आवश्यक और जरुरी दस्तावेज है.RC इस बात का सबूत होता है कि आपकी कार या मोटरसाइकिल RTO (Regional Transport Office) से Registered है.
इस प्रमाण पत्र में आपके वाहन मालिक होने के साथ ही उसक वाहन से जुड़ी कई जानकारी मौजूद होती है जैसे उस वाहन की निर्माता कंपनी, वाहन के बनने का वर्ष, उसके इंजन या और उसे सड़क पर चलाने की अनुमति किस तारीख से है.
आरटीओ यानी Regional Transport Authority एक सरकारी संगठन है. जो भारत सरकार के परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए काम करता हैं. भारत के लगभग हर शहर में RTO की स्थापना की गई है. RTO अपने एरिया में लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करता हैं. नई गाड़ियों का पंजीकरण और गाड़ियों के नंबर प्लेट भी RTO ही जारी करता हैं. एक RTO के पास शहर के सभी वाहनों की पूरी जानकारी होती है.
जब आप कोई नई कार या मोटरसाइकिल लेते है. तो आपको उसका रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर करवाना होता है. जिसके बाद Regional Transport Authority आपके नाम पर गाड़ी को Register कर देती है और आपको RC Card मिल जाता है. जिसके बाद वाहन जिसके नाम पर रजिस्टर होता है वही उसका मालिक हो जाता है. RC CARD भी उसी के नाम पर बनता है.
बदलते वक्त के साथ टेक्नोलॉजी ने लोगों का काम आसान कर दिया है. अब किसी भी काम को घर बैठे- बैठे ही आसानी से कर सकते हैं. पहले जहां RC Transfer के लिए RTO के बाहर लंबी लाइन लगानी पड़ती थी. अब ये उतना ही आसान हो गया है. अब आप आसानी से ऑनलाइन ही अपना RC Transfer कर सकते हैं.
1.सबसे पहले आप परिवहन विभाग भारत सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट (https://parivahan.gov.in/parivahan/hi
Home | परिवहन सेवा Various services related to registration of vehicle/already registered vehicle like Appointment Booking, Application Status, Duplicate Registration, Change of Address, Transfer of Ownership, Hypothecation, etc.
parivahan.gov.in ) पर जाएं.
2.एक अकाउंट बनाएं
3. इसमें जरूरी जानकारी भरें.
4. आरसी ऑनलाइन ट्रांसफर करने पर 525 रुपये का शुल्क देना होगा.
5.फॉर्म भरने के बाद इसे डाउनलोड करें
6. उसे आरटीओ में जमा करें जिस आरटीओ ऑफिस को आपने फॉर्म भरते समय चुना था.
आरसी ट्रांसफर के लिए जब आप ऑनलाइन अप्लाई करेंगे. तब आपके पास निम्नलिखित दस्तावेजों का होना जरूरी है
आर.सी. बुक
चेसिस और इंजन पेंसिल प्रिंट
पंजीकरण का प्रमाण पत्र
टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट
विक्रेता और खरीदार का पैन कार्ड
इंश्योरेंस सर्टिफिकेट
एड्रेस प्रूफ
पासपोर्ट साइज फोटो
पॉल्यूशन सर्टिफिकेट
खरीदारी की जन्मतिथि का प्रमाण साथ रखना जरूरी है.
इन सभी डॉक्यूमेंट्स को स्कैन करके अपने कंप्यूटर में सेव कर लें, क्योंकि जब आप ऑनलाइन आवेदन करेंगे. तब आपको इनमें से कुछ दस्तावेजों को अपलोड करने की जरूरत पड़ेगी.
ध्यान रहें वाहनों के खरीद- बिक्री के साथ RC का Transfer भी बहुत जरूरी है. क्योकि RC जिसके नाम पर होगा, कानूनी तौर पर वाहन का मालिक वही होगा.अगर आपने अपनी कार या मोटरसाइकिल किसी को बेच दी है या खरीदी है और RC Transfer नहीं किया है तो मालिक वही होगा जिसके नाम पर पहले RC पहले थी.
अगर गाड़ी किसी भी तरह के गलत कामों में लिप्त पाई जाती है. तब पुलिस उसे ही पकड़ेगी जिसके नाम पर RC होगी.भारी चालान से बचने के लिए आरसी ट्रांसफर करना बेहद जरूरी है.