Credit Score Companies: क्रेडिट स्कोर बतानेवाली कंपनियों के काम करने के तौर तरीकों से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी दिखाई है. अदालत ने भारत में क्रेडिट स्कोर बताने का बिजनेस कर रही ऐसी 4 विदेशी कंपनियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है. इन 4 कंपनियों पर अपने ग्राहकों के डेटा बिना सूचित किए उपयोग करने का यानि गोपनीयता भंग करने (प्राइवेसी वायलेशन) का आरोप लगा है. शिकायककर्ता ने आरोप लगाया कि ये क्रेडिट स्कोर बताने वाली कंपनियां ग्राहकों के अनुमति के बिना ही उनकी फाइनेंशियल हेल्थ की जानकारी का उपयोग कर रही है. ऐसा करके वे क्रेडिट इंफोर्मेशन कंपनीज रेगुलेशन, 2005 (CICR, 2005) का उल्लंघन कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों के खिलाफ नोटिस जारी कर इन आरोपों का जवाब देने को कहा है.
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय से इस मसले पर जवाब देने को कहा है. मामले में अदालत ने के परमेश्वर को एमिकस क्यूरी बनाया है.
याचिकाकर्ता ने चार कंपनियों पर आरोप लगाया है. क्रेडिट स्कोर बताने वाली ये कंपनियां करीब एक बिलियन से अधिक लोगों की आर्थिक स्थितियों की जानकारी को दांव पर लगाने का आरोप है. ये कंपनियां क्रेडिट स्कोर बताने के नाम लोगों की फाइनेंशियल स्थिति की जानकारी जुटाकर दुरूपयोग कर रही है.
क्रेडिट स्कोर बताने वाली चार कंपनियां है, 1) ट्रांस यूनियन सिबिल 2) एक्सपेरियन क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया 3) इक्विफैक्स क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विस और 4) क्रिफ हाई मार्क क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विस.
कंपनियों पर डेटा लोकलाइजेशन के नियमों का भी उल्लंघन करने का आरोप है. कंपनी अपना बिजनेस भारत में कर रही है लेकिन भारतीय लोगों की जानकारी अपने विदेशी सर्वर में जमा कर रही है. यह आईटी एक्ट के नियमों का भी उल्लंघन है.
चारों कंपनियां क्रेडिट स्कोर बताने के नाम पर जो जानकारी इकट्ठी कर रही है, वह उसे लोन देने वाली या इंश्योरेंस बेचने वाली कंपनियों से भी साझा कर रही है. इन कंपनियों में याचिकाकर्ता ने बैंक बाजार, पैसा बाजार, माई लोन केयर, लोन अड्डा और क्रेडिट मंत्री का नाम बताया है.