Over Crowding In Jail: सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बढ़ती भीड़ को लेकर अहम टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि जिस तरह से देश में जेलों की वर्तमान स्थिति है, उसमें ओपन जेल की प्रणाली पर विचार किया जा सकता है. ओपन जेल कैदियों को समाज में पुर्नवास होने और आजीविका कमाने का बेहतर मौका भी देती है. सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों के मनोवैज्ञानिक तौर पर भी राहत मिलने की बात कही. जेल और कैदियों की स्थिति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें कहीं.
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने ओपन जेल की संभवानाओं पर विचार करते हुए सभी राज्यों से निर्देश देने को कहा है. बेंच ने स्पष्ट किया कि वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वे ओपन जेल या सेमी ओपन जेल पर विचार कर सकती है. ओपन जेल स्थपित करना भीड़भाड़ को कम करने का एक समाधान हो सकती है.
बेंच ने कहा कि राजस्थान में सुनियोजित तरीके से ओपन जेल सिस्टम चल रही है. ये तरीका जेल में भीड़भाड़ को कम करने के साथ-साथ पुर्नवास के मुद्दे से भी जुड़ा है. राष्ट्रीय कानूनी प्राधिकरण(एनएएलएसए) की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि उसने खुली जेल पर सभी राज्यों की राय मांगी थी जिसमें 24 राज्यों ने अपनी प्रतिक्रिया भेजी है.
ओपन जेल का कॉन्सेप्ट नया नहीं है. इसके तहत जेल में बंद कैदियों को दिन में काम करने के लिए बाहर भेजा जाता है. शाम के समय वे वापस से जेल लौट आना होता है. ओपन जेल से फायदे यह है कि कैदी पूरी तरह से समाज से अलग-थलग नहीं पड़ते हैं, अपनी आजीविका भी कमाते हैं. ब्रिटिश काल में भी ओपन जेल का कॉन्सेप्ट लागू था. यह बात 1905 की है जब मुंबई में ओपन जेल शुरू किया गया था लेकिन 5 वर्षों के अंदर ही, 1910 में, इसे बंद कर दिया गया था.