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सरकार से मुलाकात का मतलब नहीं है पेंडिंग केस पर डील! न्यायपालिका और सरकार के रिश्ते पर CJI ने रखी अपनी राय

CJI DY Chandrachud ने कहा कि सरकार के मुखिया से शिष्टाचारवश मुलाकात बेहद जरूरी है क्योंकि भले ही न्यायपालिका एक स्वतंत्र संस्था है, लेकिन इसका बजट सरकार द्वारा बनाया जाता है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (पिक क्रेडिट PTI)

Written by Satyam Kumar |Published : October 28, 2024 8:02 AM IST

अक्सर लोग जजों के नेताओं के मुलाकात को शक की दृष्टि से देखते हैं और इस घटना पर तरह-तरह के कयास भी लगते हैं. ये भ्रांतियां सुनने को मिलती है कि अमुक जज बीजेपी का तो अमुक जज कांग्रेस से प्रभावित है. चीफ जस्टिस मुम्बई यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में इन मुलाकात पर अपनी राय रखी है. सीजेआई ने इन भ्रांतियों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के मुखिया से मुलाक़ात का मतलब पेंडिंग केस पर डील नहीं है. न्यायपालिका एक स्वतंत्र संस्था है, लेकिन इसका बजट सरकार द्वारा बनाया जाता है इसलिए ये मुलाक़ातें न्यायपालिका की प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहद जरूरी होती हैं.

मुलाकात के दौरान पेंडिंग केस पर चर्चा नहीं होती

समारोह के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका अपने आप में स्वतंत्र संस्था के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभाती है लेकिन इसका बजट सरकार बनाती है. ऐसे में चीफ जस्टिस मुख्यमंत्री से पत्र व्यवहार ही करेगे तो काम नहीं बनेगा. कोर्ट का सरकार के साथ प्रशासनिक रिश्ता जजों के उस उत्तरदायित्व से अलग होता है, जो वे जज के तौर पर निभाते है. इस तरह की परिपक्वता हमेशा ऐसी व्यक्तिगत मुलाकातों में रहती है कि वो किसी पेंडिंग केस को लेकर बात न करें.

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब CJI या किसी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सरकार के मुखिया (प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री) से मुलाक़ात होती है तो इसका मतलब ये नहीं है कि उनके बीच किसी पेंडिंग केस को लेकर कोई डील हुई है. इस तरह की मुलाक़ाते शिष्टाचारवश और अक्सर न्यायपलिका की प्रशासनिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरतो को पूरा करने को लेकर होती है.

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