Faizabad Bar Association: सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के बार-बार हड़ताल पर जाने के रवैये को अदालत की अवमानना बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों ने 134 वर्किंग डे में से 66 दिन हड़ताल पर रही. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के 8 अगस्त के फैसले के खिलाफ फैजाबाद बार एसोसिएशन की अपील पर सुनवाई करने के दौरान कही. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसोसिएशन के बार-बार हड़ताल पर जाने के रवैये को देखते हुए इसके मामले को संभालने और इसके कामकाज की देखरेख करने के लिए एक एल्डर्स कमेटी बनाई थी. फैसले में उच्च न्यायालय ने फैजाबाद बार एसोसिएशन के गवर्निंग काउंसिल का चुनाव दिसंबर 2024 तक कराने के निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस उज्जल भुइंयां और जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए 134 के कार्य दिवस में 66 दिन हड़ताल करने पर नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने बार एसोसिएशन को फटकारते हुए कहा कि वे अब से न्यायिक कार्य बंद करने का आवाह्न नहीं करेंगे. अगर किसी तरह की परेशानी हो तो वे इसके लिए जिला जज के पास जाएंगे.
जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक तौर पर कहा,
"आप बार-बार हड़ताल कैसे शुरू कर सकते हैं? इससे इतर हम कहेंगे कि आप आश्वासन दें कि आप हड़ताल पर नहीं जाएंगे. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 134 दिनों में से 66 दिन आप काम से दूर रहे?"
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया,
"इसमें याचिकाकर्ता के तौर मौजूद बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को हलफनामा के माध्यम से यह वचन देना पडे़गा कि वे कभी भी काम बंद करने का प्रस्ताव पारित नहीं करेंगे और अपनी किसी भी शिकायत के समाधान के लिए जिला जज या उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश के पास जाएंगे."
जस्टिस सूर्यकांत ने वकीलों के बार-बार हड़ताल पर जाने से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये रवैया अदालत की घोर अवमानना है. हम न्याय का मखौल उड़ाने या अदालत को धमकाने की इजाजत नहीं दे सकते हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक तौर पर कहा कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश पर रोक नहीं लगाएंगे.