भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के 25 न्यायाधीशों और उनके जीवनसाथियों के लिए विशाखापत्तनम और अराकू घाटी का दौरा निर्धारित किया है. यह यात्रा 11-12 जनवरी को होने वाली है और इसका उद्देश्य न्यायाधीशों को चुनौतीपूर्ण न्यायिक माहौल से अलग एक ताजगी भरा अवकाश प्रदान करना है. दौरा पूरी तरह से निजी होगा और इसमें किसी तरह की आधिकारिक चर्चा नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ पांच न्यायाधीशों में से केवल न्यायमूर्ति अभय एस ओका पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण यात्रा पर नहीं जा सकेंगे. बता दें कि न्यायाधीश और उनके जीवनसाथी यात्रा के लिए अवकाश यात्रा रियायत (LTC) भत्ते का उपयोग करेंगे या स्वयं का पैसा खर्च करेंगे.
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने विशाखापत्तनम व निकटवर्ती अराकू घाटी के दौरे की योजना बनाई है. सूत्रों ने बताया कि 11-12 जनवरी को होने वाली इस यात्रा का उद्देश्य न्यायाधीशों को चुनौतीपूर्ण न्यायिक माहौल से अलग एक ताजगी भरा अवकाश प्रदान करना है. प्रधान न्यायाधीश कार्यालय के करीबी सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह दौरा परिवार के साथ समय बिताने के लिए है. न्यायाधीशों के साथ उनके जीवन साथी भी होंगे, लेकिन बच्चे नहीं होंगे.
सूत्रों ने बताया कि इस यात्रा में जस्टिस संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति अभय एस ओका में से केवल न्यायमूर्ति ओका ही पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण यात्रा पर नहीं जा सकेंगे, उन्होंने कहा कि न्यायाधीश और उनके जीवन-साथी अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) भत्ते का उपयोग करके यात्रा करेंगे या फिर यात्रा के लिए स्वयं का पैसा खर्च करेंगे. सूत्रों से पता चला है कि प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने दिल्ली में कामकाज के तनाव से राहत पाने के लिए यह पहल की थी. उन्होंने इस योजना का समर्थन करने वाले अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों से सलाह ली. यह तय हुआ कि न्यायाधीश खुद इस यात्रा का खर्च उठाएंगे.