रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आम लोग न्यायपालिका से निष्पक्ष और त्वरित न्याय की उम्मीद करते हैं, वहीं न्यायिक अधिकारियों को लोग अपने विश्वास का संरक्षक मानते हैं. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने आगे कहा कि कानून का प्रयोग न्याय देने के लिए किया जाना चाहिए ना कि इसे ही उत्पीड़न का साधन बनने देना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश ने सिविल मुकदमों में अंतरिम आवेदनों के निपटारे में हो रही देरी को दूर करने के लिए बोल्ड डिसीजन लेने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने कहा कि मैं सभी न्यायिक अधिकारियों से अपने न्यायिक कर्तव्यों को साहसपूर्वक और विवेकपूर्ण तरीके से निभाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि कानून का इस्तेमाल उत्पीड़न के साधन के रूप में न किया जाए बल्कि न्याय के साधन के रूप में किया जाए.
सीजे सिन्हा ने कहा कि एक आम आदमी न्यायपालिका से क्या उम्मीद करता है? वह न्याय चाहता है - निष्पक्ष और त्वरित. ऐसी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए, एक न्यायाधीश, सीजर की पत्नी की तरह, संदेह से परे रहना चाहिए, स्थिर विवेक द्वारा निर्देशित होना चाहिए, जबकि अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी और बौद्धिक ईमानदारी के साथ करना चाहिए.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने न्यायिक अधिकारियों की सार्वजनिक विश्वास के संरक्षक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका और निष्पक्ष और त्वरित न्याय देने के उनके दायित्व पर जोर दिया. सीजे ने बताया कि न्यायिक अधिकारियों को लोग अपने विश्वास का संरक्षक मानते हैं. एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने कानून की गतिशील प्रकृति पर भी जोर दिया, साथ ही समाज के सामने आने वाली चुनौतियों के साथ, जिसके लिए निरंतर सीखने और अनुकूलन बनाने की आवश्यकता पर जोड़ दिया. इसे लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर बलात्कार पीड़ितों को गर्भावस्था के चिकित्सा समापन के लिए अगर हाईकोर्ट जाना पड़ता है तो ये कानून के व्यावहारिक प्रयोग की कमी को दिखाता है, जिसे जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने आधुनिक न्याय प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), तकनीकी उन्नति और फोरेंसिक साक्ष्य को समझने के महत्व पर भी प्रकाश डाला. प्रसिद्ध न्यायविद नानी पालकीवाला का हवाला देते हुए सीजे सिन्हा ने कहा कि समाज के विकास के दौरान कानून स्थिर नहीं रह सकता.