आज मुंबई के निजी अस्पताल में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस तरुण अग्रवाल का निधन हो गया, जहां सड़क दुर्घटना के बाद उन्हें इलाज के लिए भर्ती हो गया. जजशिप से रिटायर होने के बाद भी भारतीय प्रतिभूति और अपीलीय बोर्ड मुंबई में पीठासीन अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे. 69 वर्षीय जस्टिस तरूण अग्रवाल अपने करियर में मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस भी बनाए गए. इस दुखद घटना की जानकारी बाहर आने के बाद लीगल फ्रेटरनिटी में शोक की लहर है.
जस्टिस तरुण अग्रवाल का जन्म 03 मार्च 1956 को हुआ. उन्होंने 1978 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. जस्टिस अग्रवाल ने 09 दिसंबर 1981 को एक वकील के रूप में एनरोलमेंट कराया. उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में नागरिक कानून, संवैधानिक, कराधान, श्रम, वसीयत और कॉर्पोरेट मामलों में प्रैक्टिस की. जस्टिस तरुण अग्रवाल को उनकी मेहनत और समर्पण के कारण, उन्हें 07 जनवरी 2004 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया. 18 अगस्त 2005 को, उन्होंने परमानेंट जज के रूप में शपथ ली. यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो उन्हें न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण स्थान पर ले गया. 25 सितंबर 2009 को, उन्हें उत्तराखंड हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया, यहां उन्होंने कुछ समय के लिए एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में भी कार्य किया. उनके फैसलों ने न्यायपालिका में एक नई दिशा दी. 03 अक्टूबर 2012 को दोबारा से, जस्टिस अग्रवाल को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया. उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा किया. 12 फरवरी 2018 को, उन्हें मेघालय हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. जस्टिस तरूण अग्रवाल इस पद पर रिटायर होने तक रहे.
जस्टिस तरुण अग्रवाल का जीवन न केवल एक न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यों के लिए बल्कि एक वकील के रूप में उनके समर्पण के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है. उनके योगदान ने न्यायपालिका को और मजबूत बनाया है.