नई दिल्ली: हमारे देश में हर उस व्यक्ति को टैक्स देना पड़ता है जिनकी आमदनी टैक्स नियमों के अंतर्गत है. इनकम टैक्स भरते वक़्त टैक्स में छूट मिले ये कौन नहीं चाहता, लेकिन ये कैसे मुमकिन होगा इसके लिए जानकारी होना भी जरूरी है. तो ऐसे में आयकर की धारा 87A टैक्सपेयर्स के लिए मददगार साबित हो रहा है.
पहले इसके तहत आपको 5 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता था. 2023 के बजट में इस सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपए तक करने का ऐलान किया गया. यानी कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान की आमदनी में आपको 7 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
इस अधिनियम की धारा 87A में ऐसा नियम है, जो कि टैक्सपेयर्स के 12500 रुपए तक के इनकम टैक्स देनदारी को माफ (rebate) करा देती है. अर्थात अगर आपकी टैक्स देनदारी 12500 रुपए तक बन रही होती है तो फिर आपको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी. फिलहाल ये नियम वित्तवर्ष 2022-23 की आमदनी पर लागू है.
वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान पर्सनल टैक्स पर जानकारी देते हुए कहा कि न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री किया गया है. पहले ये लिमिट 5 लाख रुपए थी. कंफ्यूजन ये हो रहा था कि 7 लाख रुपए की इनकम को टैक्स फ्री किया गया तो 7.5 लाख रुपए की सैलरी वालों को कितना टैक्स देना होगा. उलझन का सॉल्यूशन भी यहीं था. सरकार ने टैक्स रिबेट की लिमिट 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपए की और 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी दिया. इस तरह कुल 7.5 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई.
धारा 87ए छूट का दावा करने के लिए पात्रता मानदंड इस प्रकार है:
1. इसका लाभ लेने के लिए आपका भारतीय होना जरूरी है.
2. वित्तीय वर्ष 2019-2020 के बाद आपकी वार्षिक आयकटौती रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए यानि 5 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए.
3. यह कर छूट केवल कर देने वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है.
4. धारा 87ए के तहत प्रावधान के अनुसार, अधिकतम छूट इस धारा के तहत 12,500 रुपये तक का दावा किया जा सकता है. सरल शब्दों में, यदि आपके कर की राशि रु. 12,500 या उससे कम, आप इस छूट का दावा कर सकते हैं.
.वित्तीय वर्ष के लिए अपनी सकल कुल आय की गणना करें
.कर बचत, निवेश आदि के लिए अपनी कर कटौती कम करें.
.कर कटौती को कम करने के बाद अपनी कुल आय पर पहुंचे.
.आईटीआर में अपनी सकल आय और कर कटौती की घोषणा करें.
.यदि आपकी कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है तो धारा 87ए के तहत कर छूट का दावा करें.
.आकलन वर्ष 2022-23 के लिए धारा 87ए के तहत अधिकतम छूट 12,500 रुपये है.