नई दिल्ली: जेल का नाम सुनते ही एक ऐसी जगह दिमाग में आ जाती है जहां कोई सुविधा नहीं होती. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां अपराधी सुधारे जाते हैं, लेकिन असल में हमेशा ऐसा नहीं होता.
क्या आप जानते हैं कि अगर कोई मंत्री आर्थिक अपराध के मामले में जेल में बंद है तो उसे वीआईपी (VIP) कारावास माना जा सकता है? जी हां, जेल मैनुअल के मुताबिक ऐसा होता है. इस मैनुअल में, जेल में विचाराधीन (Under-trial) कैदियों के लिए नियम और कानून निर्धारित हैं.
आपको बता दें कि जब कोई केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, विधायक, सांसद, न्यायिक मजिस्ट्रेट या कोई बड़ा उद्योगपति, आदि जेल जाता है और वह आर्थिक अपराध के मामलों में Under-trial है, तो वह खुद को श्रेष्ठ या वीआईपी बता कर उन सुविधाओं की मांग करते हैं, जो जेल मैन्युअल में एक वीआईपी के लिए अलग से दी गई हैं.
प्रत्येक राज्य सरकार के पास अपना जेल मैनुअल होता है, जिसके तहत राज्य सरकार के पास जेल कानूनों, नियमों और विनियमों को बदलने का अधिकार होता है. गृह मंत्रालय ने 2003 में मॉडल जेल मैनुअल तैयार किया था, जिसके बाद समिति दायर की गई थी, जिसे जेलों के प्रबंधन और कैदियों के इलाज को नियंत्रित करने वाले कानून की समीक्षा करने के लिए स्थापित किया गया था.
इस मैनुअल के अनुसार, कैदियों को उनकी सामाजिक स्थिति और उनकी आर्थिक प्रोफ़ाइल के आधार पर 'VIP Status' के लिए आवेदन करने का अधिकार है. VIP Status वाले कैदियों को राज्य सरकार द्वारा कई विशेषाधिकार दिए जाते हैं, जिनमें पैरोल और सजा में छूट या माफी देना भी शामिल है.
जेल में VIP Status वालों के लिए एक वीआईपी सेल (VIP cell) होता है जिसका उद्देश्य मूल रूप से वीआईपी अभियुक्तों की अन्य कैदियों से रक्षा करना और उन्हें जेल के दूसरे हिस्सों से अलग करना है. सरकार VIP cells की अधिक सुरक्षा और बेहतर रखरखाव पर खर्च करती है. लेकिन इस वीआईपी सेल में, दूसरे सेल के तुलना में क्या अलग होता है?
वीआईपी सेल में रखे गए कैदी को एक आम कैदी के मुताबिक ज्यादा सुविधा दी जाती है, जिसे सुपीरियर क्लास सुविधा कहा जा सकता है. इसमें कैदी के लिए एक मेज, सोने के लिए एक चौकी और लकड़ी का तख्त, अखबार, दरी, कॉटन की चादर, मच्छरदानी, एक जोड़ी चप्पल, कूलर, बाहर का खाना या जेल में खाना अलग से बनवाया जाना, आदि जैसी सुविधाएं दी जाती हैं. वहीं एक आम कैदी को खाने के लिए एक प्लेट, एक गिलास और सोने के लिए दरी, कंबल दिया जाता है.
यहां तक की फिल्म स्टार सलमान खान जब जेल में थे तो उनको भी घर से खाना खाने की अनुमति थी. साथ ही, उन्हें अधिकारियों के साथ कुर्सी पर भी बैठे देखा गया था, जबकि बाकी अधिकारी खड़े थे.
आपको जानकर हैरानी होगी कि तिहाड़ जेल में कैद 'सहारा इंडिया' के परिवार प्रमुख 'सुब्रत राय' ने 57 दिनों के विशेष सुविधाओं के लिए 31 लाख रुपये का भुगतान किया था. उन्होंने अदालत में कारण बताया था कि अगर उन्हें ये सुविधाएं जेल में नहीं मिलीं तो उनके रोजाना के कारोबार पर असर पड़ेगा और वो जुर्माना नहीं जोड़ पायेंगे.
इन सुविधाओं में एक वातानुकूलित कमरा, पश्चिमी शैली के शौचालय, मोबाइल फोन, WiFi और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं शामिल थीं. इस सुविधा के लिए वे रोजाना 54.4 हजार रुपए का भुगतान करते थे. इसके अलावा उनके जान के उपर खतरे को देखते हुए उन्हें सुरक्षाकर्मी भी उपलब्ध करवाया गया था.
वर्ष 2014 में दिल्ली की तिहाड़ जेल के सुरक्षा वार्ड में बंद 175 कैदियों ने वीवीआईपी सेवा के खिलाफ विरोध जताते हुए सात दिनों तक भूख हड़ताल की थी. जेल के IG व पुलिस कमिश्नर को भेजी गई शिकायत में बंदियों ने आरोप लगाया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, गोपाल कांडा, यूपी के बाहुबली सांसद धनंजय कुमार और मनु शर्मा जैसे V.VIP कैदियों से रिश्वत लेकर जेल प्रशासन द्वारा वीवीआईपी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.
सात दिनों से भूख हड़ताल कर रहे कैदियों को कड़ी मशक्कत के बाद भी जेल अधिकारी हड़ताल खत्म कराने में विफल रहे. जिसके बाद उनकी कुछ शर्तों पर विचार किया गया और तिहाड़ जेल के जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि "जेल में बंद सभी कैदियों के लिए मुलाकात, भोजन, फोन सभी सुविधा जेल मैनुअल के अनुसार सामान्य है."