नई दिल्ली: हमारे देश में दहेज प्रथा एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जिसके कारण महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा व शोषण जैसे अपराध होते रहते हैं. कानूनन दहेज लेना या देना या फिर किसी भी तरह से दहेज के लेन-देन में शामिल होना एक अपराध है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A के तहत दहेज उत्पीड़न करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना का प्रावधान है और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत पांच साल तक की जेल और 15000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.
परन्तु यदि किसी व्यक्ति ने दहेज न लिया हो और उस पर उसकी पत्नी द्वारा दहेज का झूठा आरोप लगाया जाए, तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए? क्या दहेज का झूठा आरोप लगाने के लिए पत्नी को सजा मिलेगी?
कहते हैं अपराध किसी धर्म, जाति या लिंग पर आधारित नहीं होता. इसका संबंध केवल अपराधी से होता है. कई बार महिलाएं अपने पति पर हमला करने के लिए घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज कराती हैं. अगर कोई महिला अपने पति, उसके माता-पिता या रिश्तेदारों पर दहेज उत्पीड़न संबंधित शिकायत दर्ज कराती है, तो बिना पर्याप्त जांच के आरोपित को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया जाता है, और गैर-जमानती शर्तों पर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है. शिकायत भले ही झूठी हो पर आरोपी को तब तक दोषी माना जाता है जब तक कि वह अदालत में निर्दोष साबित नहीं हो जाता.
पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा के दर्ज मामले लगभग शून्य हैं, परन्तु पुरुषों को भी महिलाओं द्वारा कई उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. चूकीं किसी पुरुष की सुरक्षा के लिए किसी कानून में कोई प्रावधान नहीं है इसके मामले खुल कर बाहर नहीं आते. परिणामस्वरूप कई बार महिलाएं अपने पति के खिलाफ झूठी शिकायत करने के लिए महिला अधिकारों का दुरुपयोग करती हैं.
यदि पत्नी द्वारा अपने पति के खिलाफ एक झूठी शिकायत दर्ज कराई गई है, तो पुरुष के पास दो विकल्प हैं - पहला मामले में खुद का बचाव करना और निर्णय की प्रतीक्षा करना या फिर अपनी पत्नी के खिलाफ एक काउंटर केस दर्ज कर उसे गलत साबित करना.
ज्यादा से ज्यादा धमकी देने वाले के खिलाफ सबूत इकठ्ठा करें, जिसे ये साबित हो से की आपने ना तो दहेज ली है ना ही दहेज की मांग की है.
अपने परिवार को सलाखों के पीछे जाने से रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए, एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद, अग्रिम जमानत या नोटिस जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए.
ब्लैकमेल व झूठे आरोप में फंसाए जाने की शिकायत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराएं और पुलिस को मामले की विस्तार में जानकारी दें. यदि पुलिस आपकी शिकायत दर्ज करने से मना करती है, तो आपके पास दो विकल्प होता है- आप मामले की जानकारी देते हुए एसपी/आयुक्त को पत्र लिख कर भेज सकते हैं और शिकायत की “प्राप्त प्रतिलिपि” प्राप्त कर सकते हैं अथवा आप शिकायत को पंजीकृत डाक से पुलिस स्टेशन में भेज सकते हैं और उसकी पावती सुरक्षित रखना चाहिए.
RCR (Restitution of Conjugal Rights) एक वैवाहिक मुकदमा है, यदि आपकी पत्नी सभी ब्लैकमेलिंग और धमकी के बाद आपके घर को छोड़ चूकी है, तो आप उन शर्तों का उल्लेख करते हुए RCR दाखिल कर सकते हैं. RCR पति या पत्नी द्वारा अदालत के समक्ष किया जा सकता है जो वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू करने के अनुरोध को संदर्भित करता है.
अपनी पत्नी के साथ किसी समझौता में प्रवेश न करें और अगर आपको कोई समझौता करना है, तो बिना पैसे चुकाए करें.
मीडिया, मानवाधिकार संगठनों आदि को पत्र लिखकर, झूठी शिकायत का मुद्दा उठाए और उन्हें धारा 498A के दुरुपयोग के बारे में बताएं. इससे आपका मामला लोगों तक पहुंच सकता है साथ ही समाज का ध्यान कानून के दुरुपयोग की ओर जाएगा.
अपने मामले को मजबूत बनाने और जल्द निपटान की अपेक्षा से, आप अपनी पत्नी के खिलाफ काउंटर केस दायर करा सकते हैं. आइए जानते हैं कुछ धाराओं को जिनके तहत दहेज की झूठी शिकायत के खिलाफ आप काउंटर केस फाइल कर सकते हैं.
IPC की धारा 120B: आपराधिक षड्यंत्र का दंड
आप अपनी पत्नी के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने के लिए IPC की धारा 120B के तहत काउंटर केस फाइल कर सकते हैं.
IPC की धारा 167:लोक सेवक को चोट पहुँचाने के इरादे से एक गलत दस्तावेज तैयार करना
यदि आपके अनुसार पुलिस अधिकारी आपकी पत्नी की झूठी शिकायत करने में मदद कर रहे हैं और गलत दस्तावेज तैयार कर रहे हैं, तो आप उन दस्तावेजों के खिलाफ भी मामला दर्ज करा सकते हैं.
IPC की धारा 191: गलत सबूत पेश करना
यदि आपको संदेह है कि आपकी पत्नी आपके खिलाफ न्यायालय या पुलिस स्टेशन में झूठे सबूतों को इस्तेमाल कर रही है, तो आप आरोप लगाते हुए केस दर्ज कर सकते हैं कि सबूत झूठे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पूरे आरोप झूठे हैं.
IPC की धारा 500: मानहानि
अगर कोई आपको किसी भी तरह से बदनाम करने की कोशिश करता है, तो आप उन पर मानहानि का केस कर सकते हैं. मुआवजे के मामले में वो आपको क्षतिपूर्ति देने के हकदार भी होंगे.
IPC की धारा 504: शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना
जो कोई जानबूझकर आपका अपमान करता है, प्रकोपित करता है और किसी भी तरह से आपके द्वारा सार्वजनिक शांति भंग करने का प्रयास करता है उसे या तो कारावास से दंडित किया जा सकता है, या जुर्माना या दोनों साथ हो सकते हैं.
IPC की धारा 506: आपराधिक धमकी के लिए सजा
इस धारा के तहत आपराधिक धमकी देना अपराध है और आप अपनी पत्नी पर आपको या आपके परिवार या आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देने का आरोप लगा सकते हैं. परन्तु सबूत केवल एक चीज है जो आपके आरोपों का समर्थन कर सकता है.
CrPC की धारा 227
यदि आप जानते हैं कि आपकी पत्नी द्वारा की गई शिकायत झूठी है, तो आप 227 के तहत आवेदन दायर कर सकते हैं. जिसमें आपकी पत्नी द्वारा भरा गया 498A मामले को आप झूठ बता सकते हैं. यदि आपके पास पर्याप्त सबूत हैं, या उसके पास आप पर लगे आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत ना हो, तो संभवत: न्यायाधीश सिर्फ केस को बनावटी बताते हुए खारिज कर देता है.
498A (दहेज प्रताड़ना) का झूठा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2022 को दहेज प्रताड़ना के एक मामले पर कहा 498A के मामले में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. कोर्ट ने महिला के ससुराल पक्ष के खिलाफ चल रहे दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आजकल IPC की धारा 498A के प्रावधान का पति के रिश्तेदारों के खिलाफ अपना स्कोर सेटल करने के लिए टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.
अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य
2014 में अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया. कोर्ट ने 498A के तहत केस दर्ज होते ही आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी को गलत ठहराया. इस मामले में अरनेश कुमार के खिलाफ उनकी पत्नी ने IPC की धारा 498A और डॉवरी एक्ट की धारा 4 के तहत केस दर्ज कराया था. जब सेशंस कोर्ट और पटना हाई कोर्ट ने एंटीसिपेटरी बेल की याचिका खारिज कर दी तब अरनेश कुमार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. सर्वोच्च अदालत ने उन्हें और उनके परिवार वालों को गिरफ्तारी से राहत दी. और पुलिस को ऐसे मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न करने का और CrPC की धारा 41 का पालन करने का आदेश दिया.
2013 राज तलरेजा बनाम कविता तलरेजा
2013 में राज तलरेजा बनाम कविता तलरेजा केस में महिला ने खुद को चोट पहुंचाने के बाद पति को दहेज और घरेलू हिंसा के झूठे केस में फंसाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पति के ऊपर इस तरह के आरोप लगा कर झूठा केस करना पति के साथ मानसिक क्रूरता है और ये तलाक का आधार है.