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जेल में अपराध पर क्या है दंड का प्राविधान जेल अधिनियम के तहत?

जेल में बंद कई कैदी जेल में भी अपराध करने से बाज नहीं आते, जिनके खिलाफ कड़े कानून बनाए गए है.

Prisons Act 1894

Written by My Lord Team |Published : June 19, 2023 5:35 PM IST

नई दिल्ली: किसी मामले में दोषी पाए जाने पर अदालत व्यक्ति को जेल भेजती है, ताकि उसे दंडित कर उस व्यक्ति में सुधार लाया जा सके. लेकिन कुछ दोषी सुधरने के बजाए जेल को ही अपना अपराध का अड्डा बना लेते हैं. ऐसे ही अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए जेल के अंदर व्यस्था बनाये रखने की लिए भी कुछ कानून बनाए गए हैं, जिसके बारे में कारागार अधिनियम 1894 में बताया गया है.

इस अधिनियम की धारा 45 में बताया गया है कि कारागार अपराध क्या है और धारा 46 और 47 के तहत उन अपराधों के लिए सजा के प्रावधान का जिक्र किया गया है.

कारागार-अपराध

  •  जेल के उन नियम का जानबूझकर उल्लंघन करना , जिसे धारा 18 [59] के तहत जेल-अपराध घोषित किया गया हो;
  •  किसी तरह का किसी पर हमला करना या आपराधिक बल का इस्तेमाल करने के साथ- साथ किसी के प्रति अपमानजनक या धमकी भरे भाषा का प्रयोग करना, इतना ही नहीं अनैतिक या अभद्र व्यवहार करना भी अपराध है;
  •  जानबूझकर काम ना करना, काम करने से बचने के लिए बहाना बनाना;
  •  वह कैदी जो बिना उचित अधिकार के हथकड़ी, बेड़ी या सलाखें फाइल करता है या काटता है, बदलता या हटाता है;
  •  वो कैदी जिन्हे सश्रम कारावास की सजा मिली है उनके द्वारा जानबूझ कर आलस्य या कार्य में लापरवाही बरतना;
  •  जेल-संपत्ति को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना, इतिहास-टिकटों, अभिलेखों या दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना या उन्हें बिगाड़ना, किसी निषिद्ध वस्तु को प्राप्त करना, रखना या स्थानांतरित करना;
  •  बीमारी का नाटक करना;
  •  जानबूझकर किसी अधिकारी या कैदी के खिलाफ झूठा आरोप लगाना;
  • किसी भी आग, किसी साजिश, किसी के भागने, प्रयास या भागने की तैयारी, और किसी भी कैदी या जेल पर हमले या हमले की तैयारी के बारे में अधिकारी को रिपोर्ट करने से इनकार करना या मना करना ;
  • भागने की साजिश रचना, या भागने में सहायता करना, या पूर्वोक्त अपराधों में से कोई अन्य अपराध करना.

कारागार-अपराध के लिए दंड

धारा 46 के तहत जेल अधीक्षक ऐसे किसी अपराध के संबंध में किसी व्यक्ति का परीक्षण कर सकता है, और उसके आधार पर अवधारण कर सकता है और ऐसे अपराध को निम्नलिखित तरह से दंडित कर सकता है

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  • एक औपचारिक चेतावनी देकर
  • कठिन काम करवाना
  • सश्रम कारावास की सजा न पाने वाले दोषी अपराधी कैदियों के मामले में सात दिनों से अधिक की अवधि के लिए कठिन श्रम करवाना
  • जेल में भी कैदियों को कुछ अधिकार दिए होते हैं उन अधिकारों पर कुछ वक्त के लिए रोक लगा देना
  • अगर कोई व्यक्ति किसी तरह के कारागार अपराध को अंजाम देता है तो उसे लगभग तीन महीने तक मोटे या अन्य तरह के कपड़े पहनने की सजा दी जा सकती है, लेकिन वह ऊनी नहीं होगा
  • कई बार आपने फिल्मों में देखा होगा कि जेल में किसी अपराधी को मोटे या वजनदार हथकड़ियां पहना दी जाती हैं, तो असलियत में भी राज्य सरकार के नियमों के अनुसार एक अवधि तक के लिए इस तरह की हथकड़ियां डाली जा सकती हैं
  • तीन महीने से अधिक की किसी भी अवधि के लिए अलग कारावास में रखा जा सकता है
  • दंडात्मक आहार, अर्थात, श्रम के संबंध में ऐसी रीति और ऐसी शर्तों के अधीन आहार का प्रतिबंध जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है: बशर्ते कि आहार का ऐसा प्रतिबंध नब्बे से अधिक के लिए एक कैदी पर लागू होने की स्थिति में होगा -लगातार छह घंटे, और एक नए अपराध को छोड़कर और न ही एक सप्ताह के अंतराल के बाद तक दोहराया नहीं जाएगा;
  • चौदह दिनों से अधिक की किसी भी अवधि के लिए सेलुलर कारावास या एकांत कारावास

धारा 46 के तहत दंडों की बहुलता

  • धारा 47 में धारा 46 के खंड (4) के तहत विशेषाधिकारों के नुकसान को छोड़कर औपचारिक चेतावनी को किसी अन्य सजा के साथ नहीं जोड़ा जाएगा;
  • दंडात्मक आहार को उस खंड के खंड (2) के तहत श्रम के परिवर्तन के साथ नहीं जोड़ा जाएगा, न ही दंडात्मक आहार की किसी भी अतिरिक्त अवधि को 26 [सेलुलर] कारावास के संयोजन में दिए गए दंडात्मक आहार की किसी भी अवधि के साथ जोड़ा जाएगा ;
  • सेलुलर कारावास को अलग कारावास के साथ नहीं जोड़ा जाएगा, ताकि अलगाव की कुल अवधि को बढ़ाया जा सके जिसके लिए कैदी उत्तरदायी होगा;
  • कोड़े मारने की सजा को सेलुलर या अलग कारावास 28 [और] छूट प्रणाली के तहत स्वीकार्य विशेषाधिकारों के नुकसान को छोड़कर किसी अन्य प्रकार की सजा के साथ नहीं जोड़ा जाएगा ;
  • राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के उल्लंघन में किसी भी दंड को किसी अन्य दंड के साथ नहीं जोड़ा जाएगा.
  • ऐसे किसी भी अपराध के लिए कोई दंड नहीं दिया जाएगा ताकि किसी अन्य ऐसे अपराध के लिए दी गई सजा के साथ दो दंड जो ऐसे किसी अपराध के लिए संयोजन में नहीं दिए जा सकते हैं.