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ESMA क्या है? जिसे यूपी सरकार ने बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के अंदेशों पर किया है लागू

एस्मा कानून के तहत आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करने वाली किसी भी हड़ताल पर सरकार रोक लगा सकती है, जिन सेवाओं का सुचारू रूप से चलते रहना सामुदायिक कल्याण के लिए बेहद आवश्यक है.

Written by Satyam Kumar |Published : December 7, 2024 1:48 PM IST

बीते दिन उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की आशंकाओं को देखते हुए राज्य में एस्मा यानि आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (Essential Services Maintenance Act, 1968) लागू किया है. कर्मचारी 'बिजली विभाग के निजीकरण' के फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसे लेकर वे हड़ताल पर जाने की घोषणा कर रहे हैं. बिजली आपूर्ति को आवश्यक सेवा पाते हुए यूपी सरकार ने राज्य में छह महीने के लिए एस्मा कानून लागू की है, जो सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर रोक लगाती है.

क्या है ESMA?

एस्मा कानून सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए लगाया जाता है. वहीं, सरकार इसे लागू करने से पहले संबंधित कर्मचारियों को इसके बारे में अखबार, अधिसूचना आदि बहुतायात साधनों से सूचित कर सकती है. एस्मा कानून के अनुसार, आवश्यक सेवाओं में डाक, दूरसंचार, रेलवे, परिवहन, रक्षा प्रतिष्ठान और केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक समझी जाने वाली अन्य सेवाएँ शामिल हैं. इन सेवाओं के अलावे सरकार किसी अन्य सार्वजनिक उपयोग के सेवा को बरकरार रखने के लिए एस्मा लागू कर सकती है.

एस्मा कानून के तहत आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करने वाली किसी भी हड़ताल पर सरकार रोक लगा सकती है, जिन सेवाओं का सुचारू रूप से चलते रहना सामुदायिक कल्याण के लिए बेहद आवश्यक है.

सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर लगेगी रोक

एस्मा कानून के तहत केंद्र या राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित में आवश्यक सेवाओं (Essential Services) से जुड़े कर्मचारियों के हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है. हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश छह महीने के लिए प्रभावी रहेगा, सार्वजनिक हित को देखते हुए सरकार और छह महीने के लिए बढ़ा सकती है.

एस्मा कानून के तहत सजा का प्रावधान

एस्मा कानून, अवैध हड़ताल में शामिल होने, उसें फंड करने में तथा हड़ताल को शुरू में किसी तरह की भूमिका निभाने को अपराध घोषित करता है. अवैध हड़ताल का अर्थ बिना इजाजत कर्मचारियों का सामूहिक रूप से कार्य को रोक दिया जाना है. यह अधिनियम अवैध हड़तालों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान करता है.

  • एस्मा अधिनियम के तहत अवैध हड़ताल (Penalty for illegal strikes)  शुरू करने वाले व्यक्ति को छह महीने तक की जेल या दो सौ रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है.
  • अवैध हड़ताल में भाग लेने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को उकसाने (Penalty for instigation) वाले व्यक्ति को एक साल तक की जेल या एक हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है.
  • अवैध हड़ताल के समर्थन में फंडिंग (Penalty for giving financial aid to illegal strikes) करने वाले व्यक्ति को एक साल तक की जेल या एक हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है.

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