नई दिल्ली: कानून में प्रत्येक व्यक्ति अपने कृत्यों के लिए जिम्मेदार है और दूसरा व्यक्ति जिसने वह कार्य नहीं किया है उसे उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है. लेकिन इसका एक अपवाद भी है, जहां एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के कृत्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, भले ही वह घटनास्थल पर मौजूद न हो. इसे प्रतिनियुक्त दायित्व (Vicarious Liability) कहा जाता है, जिसका उल्लेख टॉर्ट कानून में है.
यदि आपने एक ड्राइवर नियुक्त किया है और उसको हवाई अड्डे से मेहमान को लेने के लिए भेजते हैं. वापस आते समय ड्राइवर ने लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए किसी को टक्कर मार दी तो भले ही आप कार में नहीं थे, फिर ही उसके कृत्यों के लिए आपको ही उत्तरदायी ठहराया जायेगा.
ऐसा इसलिए क्योंकि ड्राइवर को आपने एयरपोर्ट से किसी को लेकर आने का आदेश दिया था. जब दुर्घटना हुई वह आपका कर्मचारी था और आपकी ओर से काम कर रहा था. हालांकि यह केवल दीवानी मामलों में लागू होता है न कि आपराधिक मामलों में जिसका अर्थ है कि अगर ड्राइवर किसी का खून कर देता है तो उसका मालिक इस कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं होगा और यह बात सारे आपराधिक मामलों पर लागू है.
हालांकि प्रतिनियुक्त दायित्व (Vicarious Liability) आमतौर पर लोगों के बीच प्रासांगिक तभी है जब वे कार्यरत होते हैं, इसके कुछ उदाहरण जैसे -मालिक-नौकर, प्रिंसिपल-एजेंट, साझेदारी में भागीदार आदि.
अगर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का नौकर है, तो सिर्फ यह आधार प्रतिनिधिक दायित्व निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसके साथ ही उस व्यक्ति द्वारा कुछ अवैध काम किया जाना चाहिए क्योंकि यह उसके रोजगार के दायरे में नहीं आएगा.
अगर कोई नौकर ड्रग्स बेचता है तो इसके लिए मालिक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता और यह कार्य उसके रोजगार के दौरान होना चाहिए, अगर नौकर को 9-5 से काम करने का वक़्त है और 5 के बाद वह मालिक के लिए काम नहीं कर रहा है, तो मालिक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि भले ही वह मालिक द्वारा नियोजित किया गया हो, वर्तमान मामले में वह अपने रोजगार के बाहर काम कर रहा है.
यह समझना बहुत जरूरी है कि व्यक्ति को दूसरे के द्वारा नियोजित किया जाना चाहिए और साथ ही कार्य को उसके रोजगार के साथ किया जाना चाहिए, हालांकि इसका एक और अपवाद है.
जैसे की अगर आपने अपने ड्राइवर को बाइक से किराने का सामान लेने के लिए कहा और नौकर जब सामान लेने जा रहा था तो उसके पास उसके दोस्त का फोन आया मिलने के लिए. उसने अपना रास्ता बदल देता है ताकि सामान भी खरीद सके और अपने दोस्त से भी मिल सके और इसी बीच अगर वह अपनी बाइक से किसी को टक्कर मार दे तो मालिक जिम्मेवार नहीं होगा क्योंकि उसने मालिक के कहने पर नहीं बल्कि अपने स्वार्थ के लिए रास्ता बदला और दुर्घटना घटी.
अक्सर हम टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं या उबर या ओला के जरिए कैब बुक करते हैं, जब हमें कहीं जल्दी पहुंचना होता है। अगर हम कैब बुक करते हैं या टैक्सी या ऑटो रिक्शा लेते हैं और उसका एक्सीडेंट हो जाता है तो उस टैक्सी की एजेंसी को हर्जाने के भुगतान के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है न कि ड्राइवर को और न ही कैब के पीछे बैठे व्यक्ति को.
यदि आप जल्दी में हैं और टैक्सी के ड्राइवर को कहते हैं कि जल्दी चलाओ ताकि जल्दी पहुँच सके और इस हड़बड़ी में अगर टैक्सी वाला तेज़ चलाने की वजह से यानी आपके निर्देश का पालन करते हुए तेजी से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना हो जाती है, तो हर्जाना देने के लिए आपको उत्तरदायी ठहराया जा सकता है.
क्योंकि टैक्सी ड्राइवर सामान्य गति से जा रहा था और आपने ड्राइवर को और तेज करने को कहा, चूंकि वह आपके इशारे पर काम कर रहा था इसलिए यहां मालिक और स्वतंत्र ठेकेदार का रिश्ता पैदा होता है.