Verma Committee Report: आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना से पूरा देश सदमें में है. स्वास्थ्य सेवा ठप, इमरजेंसी सर्विस ठप और डॉक्टर सड़को पर. राज्य सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सभी डॉक्टरों से गुजारिश कर रहे थे कि वे अपने काम पर लौटे. आरजी कर कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप कर उसकी हत्या कर दी. आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग उठी, ममता बनर्जी सरकार ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरोपी को 15 दिनों के अंदर सजा देने की बात कही. ऐसा नहीं है कि ट्रायल त्वरित हो और रेप-मर्डर मामले में फांसी की सजा देने की मांग उठी हो. हमारे देश में साल 2013 में वर्मा कमेटी ने पहले रेप-मर्डर मामले में कठोर सजा लागू करने के सुझाव दिए थे. आइये जानते हैं कि बलात्कार के मामलों में वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए थे. वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बलात्कार, यौन उत्पीड़न, तस्करी, बाल यौन शोषण, विक्टिम का मेडिकल से संबंधित कानूनों पर सुधारों की सिफारिश की. हम वर्मा कमेटी की रिपोर्ट में रेप मामलों की ट्रायल, विक्टिम को चोट पहुंचने से लेकर मृत्यु होने तक कमेटी द्वारा सुझाए गए दंड के प्रस्ताव आदि की चर्चा करने जा रहे हैं.
निर्भया घटना के बाद सरकार ने बलात्कार के मामले में कानूनों को बदलाव को लेकर वर्मा कमेटी गठित की. कमेटी यौन अपराधों से जुड़े मामलों को लेकर कानूनों में बदलाव और इन घटनाओं को रोक लगाने को लेकर अपना सुझाव देना था, वर्मा कमेटी का गठन 23 दिसंबर 2012 में की गई थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 23 जनवरी 2013 को सौंप दी थी. कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे.एस. वर्मा ने की, जिसमें जस्टिस लीला सेठ, हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस गोपाल सुब्रमण्यम थे. वर्मा कमेटी का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ होनेवाले यौन उत्पीड़न के मामले में ट्रायल कैसे होनी चाहिए? आरोपी को कितनी सजा हो? इन मुद्दों पर कानून में संशोधन को लेकर अपने सुझाव देने थे.
वर्मा कमेटी ने रिपोर्ट में रेप केवल ना केवल यौन उत्पीड़न बल्कि ताकत का प्रदर्शन भी है. बलात्कार को अलग-अलग तरीके से व्याख्या करने (जैसे-योनि, मुंह या गुदा में प्रवेश) की जगह उसे गैर-सहमति से किसी भी प्रवेश के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिना संपर्क के किए जाने वाले इशारों को सेक्सुअल असॉल्ट मानना चाहिए. कमेटी ने स्टॉकिंग, पीछा करना, महिला के कपड़े उतारना, तस्करी, ताक-झांक आदि को भी कानून संशोधन में शामिल करने की सिफारिश की थी. कमेटी ने कहा कि किसी कृत्य की यौन अपराधों की घटना को परिस्थितियों के आधार पर तय की जानी चाहिए. कमेटी ने इन अपराधों के साथ-साथ शब्दों या इशारों के माध्यम से यौन व्यवहार की धमकी देने पर तीन से पांच साल तक की कैद की सजा का प्रावधान बनाने की बात कहीं.
वर्मा कमेटी ने यौन अपराधों के दौरान या घटना के बाद विक्टिम की मौत हो जाती है तो आरोपी को कम से कम 20 साल की सजा दिए जाने का प्रावधान हो. रिपोर्ट में कहा गया कि आईपीसी धारा 376(1) या धारा 376(2) के तहत दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति को, जो पीड़ित की मृत्यु या लगातार निष्क्रिय अवस्था का कारण बनता है, उसे कम से कम 20 साल की कैद दिए जाने का प्रावधान हो, संभवतः आजीवन कारावास की सजा भी दी जाएगी. कमेटी ने स्पष्ट पर तौर कहा कि इस कठोर सजा का उद्देश्य यौन अपराधियों के लिए सख्त सजा प्रदान करना है, जिससे पीड़ित को गंभीर चोट पहुंचती है या उसकी मृत्यु हो जाती है. समिति ने दावा किया कि यदि उचित ढंग से लागू किया जाए तो वर्तमान बलात्कार विरोधी कानून इस अपराध से निपटने के लिए उपयुक्त हैं. हालांकि वर्मा कमेटी ने रेप के मामलों में फांसी की सजा देने के खिलाफ पैरवी की है.