नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता के तहत जब किसी व्यक्ति को जो बलात्कार के अपराध में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो सबसे पहले उसका मेडिकल परीक्षण करवाया जाता है। इसके साथ साथ पीड़िता का भी मेडिकल परीक्षण कराया जाता है। बलात्कार के अपराध में मेडिकल परीक्षण का आखिर क्या महत्त्व होता है आइये जानते है विस्तार से -
इस धारा के तहत, जब किसी महिला पर बलात्कार जैसे अपराध हुआ हो या फिर बलात्कार जैसे अपराध करने की कोशिश कि गई हो तो एसे मामले में अन्वेषण (investigation) के समय, पीड़िता का मेडिकल परीक्षण किया जाता है।
इस तरह के मेडिकल परीक्षण (examination) जो कि वहां के शासकीय अस्पतालों के रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिश्नर द्वारा किया जाता है। अथवा स्थानीय डॉक्टर द्वारा किया जाएगा। अगर शासकीय अस्पतालों के रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिश्नर (Registered medical practitioner) मौके पर वहां मौजूद ना हो अथवा उनके गैर मौजूदगी में किसी दूसरे रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिश्नर द्वारा पीड़िता का मेडिकल एग्जामिनेशन किया जाएगा।
इस तरह के मेडिकल एग्जामिनेशन जो होते है वे पीड़िता के सहमति से किया जाता है। उसमें पीड़िता कि सहमति होना कानूनी रुप से जरूरी है। यदि पीड़िता सहमति देने के परिस्थिती में नहीं है यानि पीड़िता नाबालिग है, जो 18 वर्ष के अंदर होते है। अथवा पीड़िता मानसिक रुप से पागल है अथवा मति-मंद है तो फिर उस परिस्थिती में सहमति उस स्त्री अथवा पीड़िता के और से एसी सहमति देने के लिए सक्षम व्यक्ति कि सहमति से किया जाता है।
सक्षम व्यक्ति यानि पीड़िता का पती, माता-पिता, अथाव परिजन, भी हो सकते है। क्योंकि अगर कल को कोई आरोप लगाए के पीड़िता की सहमति नहीं थी तो इस तरह के सबूत के आधार पर न्यायालय को यकीन दिलाया जा सके के पीड़िता की सहमति थी। इस तरह के सहमति दर्शाने के लिए खास तरह का फोर्म भरा जाता है। जिस पर पीड़िता के एक गवाह (witness) के समक्ष हस्ताक्षर लिए जाते है। अगर पीड़िता अशिक्षित है तो उसके हाथ का अंगुठा लगाया जाता है।
जब कभी भी ऐसा मामला बनता है तो वहां पर वह रजिस्टर्ड चिकित्सा व्यवसायी बिना किसी विलंब के, उसके शरीर की परीक्षा करेगा और एक परीक्षा रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें कि वो स्त्री का, और उस व्यक्ति का, जो उसे लाया है, इसका नाम और पता स्त्री कि उम्र , डी .एन.ए. प्रोफाइल करने के लिए स्त्री के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन करेगा ,स्त्री के शरीर पर क्षति के यदि कोई चिह्न / निशान हो तो उसको लिखेगा ,स्त्री की साधारण मानसिक दशा और उचित ब्यौरे सहित अन्य महत्वपूर्ण विवरण और इसके साथ - साथ रिपोर्ट में संक्षेप में वे कारण अभिलिखित किए जाएंगे जिनसे प्रत्येक निष्कर्ष निकाला गया है। रिपोर्ट में परीक्षा प्रारम्भ और समाप्त करने का सही समय भी लिखा जाएगा।
जब किसी व्यक्ति को बलात्कार का अपराध करने या बलात्कार करने का प्रयास करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि उसके व्यक्ति की जांच से ऐसे अपराध के घटित होने का सबूत मिलेगा, तो यह कानूनी होगा और सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा संचालित अस्पताल में कार्यरत पंजीकृत चिकित्सक और उस स्थान से सोलह किलोमीटर के दायरे में ऐसे चिकित्सक की अनुपस्थिति में, जहां अपराध किया गया है, किसी अन्य पंजीकृत चिकित्सक द्वारा अनुरोध पर कार्रवाई की जा सकती है।
एक पुलिस अधिकारी जो उप-निरीक्षक (sub-inspector) के पद से नीचे न हो, और उसकी सहायता और उसके निर्देशन में सद्भावनापूर्वक कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए, गिरफ्तार व्यक्ति की ऐसी जांच करना और ऐसे बल का प्रयोग करना जो उसके लिए उचित रूप से आवश्यक हो।
रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, का यह कर्तव्य होता है कि वे बिना विलम्ब के, रिपोर्ट अन्वेषण अधिकारी को भेजेगा जो उसे धारा 173 में बताए गए मजिस्ट्रेट को दस्तावेजों के भागरूप में भेजेगा।
जब कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तब गिरफ्तार किए जाने के तुरंत पश्चात उसकी केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के सेवा में कार्यरत किसी चिकित्सा अधिकारी और जहां चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध नहीं है तो फिर किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के द्वारा परीक्षा करायी जाएगी। लेकिन जहां किसी महिला को गिरफ्तार किया जाता है तो वहां उसके शारिरीक परीक्षाण केवल महिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा करवाया जाएगा और जहां महिला चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध नहीं है तो फिर किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा चिकित्सा व्यवसायी (Registered Female Medical Practitioner) द्वारा या उसके पर्यवेक्षणाधीन (under supervision) कराया जाएगा ।