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संगीत को कैसे संरक्षण दे रहा बौद्धिक संपदा अधिकार कानून, जानिए उल्लंघन की सजा

कई बार कुछ लोग दूसरो के बनाए गए गानों को अपना नाम देकर उससे पैसे कमाते हैं इससे उस गाने के असली मालिक को नुकसान पहुंचता है

Music Copyright

Written by My Lord Team |Published : June 30, 2023 11:21 AM IST

नई दिल्ली: संगीत सुनना किसे नहीं पसंद. आज हम सभी किसी भी सिंगर का गाना बहुत ही आसानी से कभी भी सुन सकते हैं. कई बार कुछ गानों की चोरी भी हो जाती है. गाने की चोरी होने से बचाने के लिए ही बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights - IPR) निर्माता को दिया जाता है. जानते हैं यह संगीत को संरक्षण कैसे प्रदान करता है.

संगीत में कॉपीराइट

जानकारी के लिए आपको बता दें कि कॉपीराइट बौद्धिक संपदा का एक रूप है जिसके तहत कॉपीराइट मालिक को अपने काम (कलात्मक, नाटकीय, साहित्यिक (लिटरेरी), सिनेमैटोग्राफ फिल्में, साउंड रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ, मरणोपरांत प्रकाशन, अनाम (एनोनिमस) और छद्म नाम (सूडोनिमस) के प्रकाशन, सरकार के काम, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के काम और सॉफ्टवेयर) को नकल करने से बचाने की रक्षा करने का अधिकार दिया जाता है. जिसके लिए मालिक को कॉपीराइट के तहत पंजीयन कराना अनिवार्य है.

कॉपीराइट कानूनों में प्रावधान

किसी भी गाने के निर्माण में कई लोगों की भागीदारी होती है. कोई उसके बोल लिखता है तो कोई धुन, तो कोई उसे अपनी आवाज देता है. इसलिए कानूनी रूप से किसी एक गाने पर किसी एक का मालिकाना हक नहीं होता बल्कि कई लोगों का होता है.

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इस अधिनियम की धारा 2(d)(i) के अनुसार जो लोग साहित्यिक और नाटकीय कार्यों के संबंध में, लेखन का कार्य करते हैं उसे उस काम का लेखक कहा जाता है. ठीक वैसे ही अगर किसी गाने को कोई लिखता है तो उसे उसका लेखक माना जाता है. इस तरह गीतकार एक लेखक के रूप में गीतों के बोलों पर अपने कॉपीराइट का दावा कर सके.

वहीं अगर धारा 2(qq) की बात करें तो यह एक अभिनेता, गायक, संगीतकार, नर्तक, कलाबाज, लोगों का मनोरंजन करने वाला बाजीगर, जादूगर, सपेरा, व्याख्यान (लेक्चर) देने वाले व्यक्ति, या प्रदर्शन करने वाले किसी अन्य व्यक्ति के रूप में “कलाकार” का वर्णन करती है.

इस प्रकार, इस धारा के तहत, एक गायक भी उस कार्य पर अपने कॉपीराइट का दावा कर सकता है जिसके लिए उसने योगदान दिया है.

संगीत चुराने की सजा

कॉपीराइट कानून के तहत कॉपीराइट उल्लंघन के लिए न्यूनतम सजा छह महीने की कैद और 50,000/- रुपये जुर्माना है. इसके अलावा, दूसरी बार पकड़े जाने पर न्यूनतम सजा 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ एक वर्ष के कारावास की है.

संगीत का ट्रेडमार्क

इसके अलावा गाने का ट्रेडमार्क भी कराया जाता है. अगर कोई ट्रेड मार्क नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ छह महीने से कम की अवधि के लिए कारावास जो तीन साल तक भी बढ़ाया जा सकता है; और कम से कम ₹50,000 का जुर्माना, जो ₹2 लाख तक हो सकता है, इससे दंडित किया जा सकता है.