नई दिल्ली: कई बार आपने सुना होगा कि किसी राज्य के किसी मशहूर वस्तु को जीआई टैग दिया गया. यूपी में भी बनारसी पान, लंगड़ा आम को जीआई टैग दिया गया है. जानकारी के अनुसार, बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भांटा (बैंगन), और आदम चीनी चावल बनारसी पान के अलावा वाराणसी के तीन अन्य सामान हैं, जिन्हें जीआई टैग मिला है. इस उपलब्धि के साथ, कुल 22 जीआई-टैग वाले उत्पाद काशी क्षेत्र से संबंधित हैं.
भारत सरकार के जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री कार्यालय (Geographical registration Registry Office) चेन्नई ने ही कुछ वस्तुओं को जीआई टैग देने का निर्णय लिया है. चलिए जानते हैं कि क्या है GI TAG और कौन जारी करता है.
जब किसी जगह की कोई वस्तु या उत्पाद दुनिया भर में फेमस हो जाती है तो वह उसी स्थान का है इसे प्रमाणित करने के लिए प्रमाण की आवश्यकता होती है. ऐसे में उस क्षेत्र की वस्तु को प्रमाणित करने के लिए उसे एक स्थाई टैग दिया जाता है जिसे GI Tag यानी Geographical Indication Tag कहा जाता हैं.
GI Tag किसी क्षेत्र के खास उत्पाद को दिया जाता है. यह टैग उस स्थान को दुनिया भर में विशेष पहचान दिलाने में मदद करता है.
भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के अनुसार जीआई टैग जारी किए जाते हैं. यह टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा जारी किया जाता हमारा
हमारे देश में GI टैग 15 सितंबर 2003 से लागू हुआ है. दार्जिलिंग चाय जीआई टैग पाने वाला पहला भारतीय उत्पाद था.
जीआई टैग भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के अनुसार दिया जाता है. यह भारत में भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के लिए भारत की संसद का एक अधिनियम है. यह अधिनियम 13 सितंबर, 2003 को प्रभाव में आया था.
पहला जीआई टैग किस राज्य में है - 2004-2005 में दार्जिलिंग चाय भारत में पहला जीआई टैग उत्पाद बन गया.
चावल के लिए किस राज्य को जीआई टैग मिला - मणिपुर , चक-हाओ, सुगंधित ग्लूटीनस चावल जिसे लोकप्रिय रूप से ब्लैक राइस के रूप में जाना जाता है, को जीआई (भौगोलिक संकेत) पंजीकरण मिला है. मणिपुर में सदियों से इसकी खेती की जाती है.
जर्मनी में जीआई की सबसे बड़ी संख्या (9,499) थी, उसके बाद चीन (7,566), यूरोपीय संघ (4,914), मोल्दोवा गणराज्य (3,442) और बोस्निया और हर्ज़ेगोविना (3,147) थे.