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भारतीय महिलाओं को 'संविधान' से कौन-कौन से विशेष अधिकार मिले हैं?

भारतीय संविधान भाषा, धर्म और लिंग आदि के आधार पर किसी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है. संविधान ने समय-समय पर महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा व उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए संसद को कानून बनाने की शक्ति दी है. आइये जानते हैं कि वे कौन-कौन से कानून हैं...

Written by Satyam Kumar Published : November 26, 2024 9:06 AM IST

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संविधान से मिले महिलाओं को विेशेष अधिकार

जहां देश आज संविधान अंगीकार करने के 75वां वर्ष मना रहा हैं, वहीं हम आज आपको संविधान से मिले महिलाओं को विशेष अधिकारों को बताने जा रहे हैं.

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महिलाओं के लिए बने कानून

संविधान के प्रावधानों ने समय-समय पर महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान करने के राह खोले हैं, तो कई कानून संसद ने संविधान के अनुच्छेद के अनुरूप बनाए हैं. आइये जानते हैं उन विशेष कानूनों को...

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संपत्ति में बराबर हक

महिलाओं को पिता और पति की संपत्ति में दावेदारी भी संविधान के आर्टिकल 14 के अनुरूप ही मिला है.

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प्रजनन अधिकारों (Reproductive Rights) की स्वतंत्रता

भारतीय संविधान ने महिलाओं और लड़कियों को, बिना किसी दबाव व हिंसा के, प्रजनन से जुड़े फैसले लेने का हक दिया है.

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मैटरनिटी लीव

संविधान के आर्टिकल 40 में मातृत्व अवकाश से जुडे़ अधिकार दिए गए हैं. संसद ने मातृत्व लाभ अधिनियम भी पारित किया है, जिसके तहत महिलाओं को 26 सप्ताह की मातृत्व अवकाश दिया जाता है.

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काम करने की आजादी और समान वेतन

संविधान के आर्टिकल 39 (घ) में समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान है, जो महिलाओं को समान काम-समान वेतन को सुनिश्चित करता है.

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समानता का अधिकार

भारतीय संविधान भाषा, धर्म और लिंग आदि के आधार पर किसी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है.

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वोट देने का अधिकार

वोट देने व चुनाव लड़ने का अधिकार भारतीय संविधान ने शुरू से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया है,

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चुनाव लड़ने का अधिकार

बाद में महिलाओं की समान भागीदारी के लिए चुनाव में सीट रिजर्व करने का प्रावधान बनाया गया.

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सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार

देश में महिलाओं को किसी सार्वजनिक सेवा में अप्लाई करने व नौकरी पाने का अधिकार है.

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संविधान ने महिलाओं को बनाया संबल

संविधान ने समय-समय पर महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा व उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए संसद को कानून बनाने की शक्ति दी है.