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बैनामा, जमीन रजिस्ट्री और दाखिल खारिज में अंतर

बैनामा, भूमि रजिस्ट्री और म्यूटेशन की प्रक्रियाएं संपत्ति के लेन-देन में आवश्यक हैं. ये डॉक्यूमेंट्स न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करती हैं, बल्कि संपत्ति के स्वामित्व को भी स्पष्ट करती हैं.

Written by Satyam Kumar Published : January 3, 2025 7:21 PM IST

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संपत्ति की खरीद-बिक्री

बैनामा, भूमि रजिस्ट्री और म्यूटेशन की प्रक्रियाएं संपत्ति के लेन-देन में आवश्यक हैं.

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संपत्ति के स्वामित्व

ये डॉक्यूमेंट्स न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करती हैं, बल्कि संपत्ति के स्वामित्व को भी स्पष्ट करती हैं.

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जमीनी विवाद में सहायक

इन कागजातों की मदद से जमीनी विवादों से बचा जा सकता है, आइये जानते हैं कि इन कागजातों के मतलब...

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बैनामा

बैनामा एक कानूनी दस्तावेज है जो प्रॉपर्टी की मालिकाना हक को बेचनेवाले से खरीदारवाले को ट्रांसफर करता है.

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खरीददार और बेचनेवाले की जानकारी

बैनामे में क्रेता और विक्रेता की जानकारी, जमीन की डिटेल्स, गवाहों की जानकारी और नक्शा शामिल होता है.

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जमीन के स्वामित्व का रिकॉर्ड

भारत में जमीन की रजिस्ट्री, भूमि स्वामित्व (Ownership), कब्जा (Possession) और संपत्ति के अन्य अधिकारों को आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया है.

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जमीन की रजिस्ट्री

रजिस्ट्री जमीनी विवादों के जोखिम को कम करने में सहायता देती है.

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दाखिल खारिज या म्यूटेशन

म्यूटेशन या दाखिल खारिज एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें संपत्ति या भूमि के मालिक का नाम स्थानीय राजस्व रिकॉर्ड में बदला जाता है.

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जमीन का पूरा रिकॉर्ड

यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सरकारी रिकॉर्ड सटीक हों और संपत्ति की वर्तमान स्थिति को बताती हो.