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पैसा-पार्टी के आधार पर वोटर को लुभाना अपराध, जानें कितनी होगी सजा

अगर कोई कैंडिडेट Bribery यानि पैसा देने का दोषी पाया गया है तो उसे एक साल की सजा होगी और साथ में जुर्माना भी लगाया जाएगा. वहीं, अगर दारू-शराब, मुर्गा-चावल के आधार पर वोटर्स को लुभाने का दोषी पाया गया तो उसे मात्र जुर्माना भरना पड़ेगा.

Written by Satyam Kumar Updated : November 19, 2024 1:41 AM IST

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जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951

जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 123 चुनाव से जुड़े भ्रष्ट आचरण के बारे में बताती हैं,

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चुनाव से जुड़े अपराध

BNS की चैप्टर 9 चुनाव से जुड़े अपराध का जिक्र करता है,

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वोटर्स को पैसा देना अपराध

दोनों में रिश्वत (Bribery) यानि किसी वोटर के इलेक्टोरल राइट को प्रभावित करना अपराध बताया है.

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इलेक्टोरल राइट को समझिए

इलेक्टोरल राइट का अर्थ देश के नागरिकों को चुनाव लड़ने, चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना और अपने मनपसंद को वोट देना और ना देना भी है.

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वोटर्स को ट्रीट देना

जब कोई प्रत्याशी किसी वोटर को पैसे, शराब और मुर्गा-चावल के आधार पर उसे अपने पक्ष लिए वोट करने को लुभाता है,

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भ्रष्ट आचरण

तो यह जनप्रतिनिधि अधिनियम के अनुसार करप्ट प्रैक्टिस यानि भ्रष्ट आचरण है, बीएनएस के अंतर्गत इसे अपराध माना गया है,

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वोटर्स में पैसा बांटना

अगर कोई कैंडिडेट Bribery यानि पैसा देने का दोषी पाया गया है तो उसे एक साल की सजा होगी और साथ में जुर्माना भी लगाया जाएगा.

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भरना पड़ेगा जुर्माना

वहीं, अगर दारू-शराब, मुर्गा-चावल के आधार पर वोटर्स को लुभाने का दोषी पाया गया तो उसे मात्र जुर्माना भरना पड़ेगा