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'School में नौकरी के बदले पैसे' से जुड़े अधिकारियों पर देरी से होगी कारवाई, CBI को नहीं मिली राज्य सरकार से मंजूरी

पश्चिम बंगाल में 'स्कूल में नौकरी के बदले पैसे' मामले में सीबीआई द्वारा बनाए गए आरोपियों के खिलाफ कारवाई करने को लेकर अनुमति देने से राज्य सरकार ने अनिच्छा जताई है.

Written by arun chaubey |Published : January 16, 2024 6:20 PM IST

पश्चिम बंगाल में पैसे लेकर स्कूल में नौकरी दिलाने के मामले में प्रमुख आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने में देरी से शुरू होगी. मुकदमे की प्रक्रिया में यह देरी शिक्षा विभाग की वजह से आई है, जिसे संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कारवाई करने की अनुमति राज्य सरकार से नहीं मिली. हालांकि, आरोपी अधिकारी अभी भी न्यायिक हिरासत में ही है.

CBI ने PMLA कोर्ट में कराया मामला दर्ज

सूत्रों की माने तो पश्चिम बंगाल में 'स्कूल में नौकरी के बदले पैसे' मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है. सीबीआई (CBI) ने इस मामले को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की एक विशेष अदालत में दर्ज कराया है. जिस पर कोर्ट ने अपनी अधिकारिक स्वीकृति नहीं दी है.

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सीबीआई (CBI) ने अपने आरोप पत्र में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीएसईबी) जैसे राज्य सरकार के कार्यालयों से संबंधित कई बड़े अधिकारियों को आरोपी के रूप में नामित किया है, जिन्हें राज्य से आवश्यक अनुमोदन हासिल मिला है. आरोप में नामित अधिकारियों पर कारवाई करने की स्वीकृति नही मिलने के पीछे इसे एक बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है.

राज्य सरकार से नहीं मिली अनुमति

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई द्वारा राज्य सरकार को बार-बार याद दिलाने पर भी, कारवाई करने के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं मिली है. इस विषय में कानूनी जटिलताओं की बारीकियों को समझाते हुए, कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद की जा रही जांच के बावजूद, मुकदमे की प्रक्रिया शुरुआत करने के लिए राज्य सरकार से उन सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी की मंजूरी की आवश्यकता होगी, जिन्हें सीबीआई ने आरोपी के रूप में नामित किया गया है।

राज्य के कुछ अन्य कानूनी विशेषज्ञों का मानना है किन इस ट्रायल प्रक्रिया की शुरुआत को कुछ समय के लिए बाधित किया जा सकता है, लेकिन इसे बहुत लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता है। शहर के एक अन्य कानूनी विशेषज्ञ के अनुसार, कुछ समय के बाद, सीबीईआई कलकत्ता हाई कोर्ट को मंजूरी देने में राज्य सरकार की अनिच्छा के बारे में अवगत करा सकती है और फिर अदालत के अगले निर्देशों के अनुसार कार्य कर सकती है.