नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को Bull-Taming Sport Jallikattu पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जलीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानून संवैधानिक है और कानून के जरिए इन्हे सरंक्षण दिया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पीसीए अधिनियम) में किए गए संशोधनों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि गोवंश के दर्द और पीड़ा को कम करने और खेल को जारी रखने की अनुमति देने के लिए संशोधन पेश किए गए हैं.
पीठ ने कहा कि राज्य की कार्रवाई में कोई दोष नहीं है.. यह एक गोजातीय खेल है और नियमों के अनुसार भागीदारी की अनुमति दी जाएगी.
संविधान पीठ ने कहा कि अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 48 से संबंधित नहीं है. कृषि गतिविधि को प्रभावित करने वाले कुछ प्रकार के सांडों पर आकस्मिक प्रभाव पड़ सकता है लेकिन यह सारगर्भित रूप से, भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रविष्टि 17, सूची III के संदर्भ में शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही कर्नाटक और महाराष्ट्र में कंबाला और बुल कार्ट रेसिंग की अनुमति देने वाले कानूनों को भी बरकरार रखा है.
संविधान पीठ ने कहा कि कानून अनुच्छेद 51ए(जी) और 51ए(एच) का उल्लंघन नहीं करते हैं, और इस प्रकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन नहीं करते हैं.
पीठ ने कहा, "तीनों संशोधन अधिनियम वैध कानून हैं और हम निर्देश देते हैं कि सभी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए और डीएम और सक्षम अधिकारी संशोधित कानून के सख्त कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होंगे.
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए नागराजा और अन्य की याचिकाओं जस्टिस केएम जोसफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया है.
पीठ में जस्टिस जोसेफ के साथ ही जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल है.
संविधान पीठ ने 5 माह पूर्व 8 दिसंबर 2022 को सभी पक्षो की दलीले सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रखा था.