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EC Arun Goyal की नियुक्ति मामले से सुनवाई से हटे SC जज, NGO से पूछा 'बताएं किन नियमों का उल्लंघन हुआ'

NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के खिलाफ Supreme Court में चुनौती दी है. मामले को सुनवाई के लिए सोमवार को जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 17, 2023 2:36 PM IST

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के 2 जजो ने खुद को अलग कर लिया है. जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने सोमवार को इस मामले से जुड़ी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका से खुद को अलग कर लिया.

सुप्रीम कोर्ट के ये दोनो ही जज पहले उस संविधान पीठ के सदस्य रहे हैं जिन्होंने अरुण गोयल की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे.

पीठ ने इस मामले को सुनवाई के लिए किसी दूसरी बेंच के सामने सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए है. पीठ ने मामले की कुछ देर सुनवाई करने के बाद सुनवाई से अलग होने के अपने इरादे की घोषणा की.

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पीठ ने खुद को इस याचिका से अलग करने से पूर्व याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन से पूछा कि इस नियुक्ति में किन नियमों का उल्लंघन किया गया है.

ADR की याचिका

NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. मामले को सुनवाई के लिए सोमवार को जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

ADR ने याचिका में कहा है कि गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है, साथ ही यह निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है। ADR ने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक तटस्थ और स्वतंत्र समिति के गठन की मांग की है.

ADR ने याचिका के माध्यम से केंद्र सरकार और इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया पर स्वयं के लाभ के लिए अरुण गोयल की नियुक्ति करने का आरोप लगाया है

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 2 मार्च को फैसला सुनाया था कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEI) और इलेक्शन कमिश्नर (EC) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी.

अनुच्छेद 14 का उल्लघंन

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि Election Commissioner Arun Goyal की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है. साथ ही निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है.

याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 324(2) के साथ साथ निर्वाचन आयोग (आयुक्तों की कार्यप्रणाली और कार्यकारी शक्तियां) एक्ट 1991 का भी उल्लंघन है.

याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा.

यस मैन है गोयल की योग्यता

याचिका में तर्क दिया गया है कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था. इसके अलावा, 160 अधिकारी ऐसे थे जो 1985 बैच के थे और उनमें से कुछ गोयल से छोटे थे. हालांकि, इस बारे में कोई स्पष्टीकरण दिए बिना कि जो अधिकारी गोयल से उम्र में छोटे थे और जिनका पूरा कार्यकाल छह साल का होगा. सरकार ने गोयल को नियुक्त किया.

याचिका में कहा गया है कि सरकार ने केवल इस वजह से गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है क्योंकि वो ‘यस मैन’ हैं, इसके अलावा उनके पास ऐसी कोई योग्यता नहीं है जो दूसरे अफसरों के पास नहीं है.