नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रैन बसेरों को लेकर मंगलवार को महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण और संबंधित दिल्ली सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिए है सुप्रीम कोर्ट की बिना पूर्व स्वीकृति के दिल्ली में किसी भी अस्थायी shelter home को नहीं तोड़ा जाएगा.
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईआर कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए Geeta Ghat shelter home के तोड़ने पर रोक लगाने के साथ ही ये निर्देश जारी किए है.
पीठ राजधानी में आठ अस्थायी रैन बसेरों को हाल ही में तोड़े जाने के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओंदहर्ष मंदर और इंदु प्रकाश सिंह और दिल्ली के दो बेघर निवासियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिकाकर्ताओं की ओर पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि shelter home पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है और लोगों को 'डर के मारे' भागना पड़ रहा है.
प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली सरकार मनमाने तरीके से आश्रय गृहों तोड़ने के आदेश दे रही है.
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSCIB) के अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि रैन बसेरों को हटाने से पहले बेघरों को स्थानांतरित करने की पूर्व व्यवस्था की गई थी. अधिवक्ता ने कहा अधिकारी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हैं वे अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है.
बहस सुनने के बाद पीठ ने कहा कि "यह इंगित किया गया है कि गीता घाट पर तीन अस्थायी आश्रय हैं जो टीबी, आर्थोपेडिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति जैसे विशेष जरूरतों वाले बेघरों को पूरा करते हैं. दिल्ली पुलिस और डीडीए और जीएनटीसीडी में अन्य सभी प्राधिकरणों को निर्देशित किया जाता है कि वे किसी को भी ध्वस्त न करें.