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कर्नाटक में 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण पर अमित शाह के बयान पर SC ने जताई आपत्ति, कहा-विचाराधीन मामले पर बयान नही देना चाहिए

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओंं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस मामले को मेंशन करते हुए कहा कि "हर दिन केंद्रीय गृह मंत्री कहते हैं कि हमने रद्द कर दिया है. औरर यह अदालत की अवमानना है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : May 9, 2023 1:58 PM IST

नई दिल्ली: कर्नाटक में 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण के मामले में चुनाव प्रचार के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान पर अब सुप्रीम कोर्ट ने आ​पत्ति जताई है.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अमित शाह के बयान की जानकारी अदालत के समक्ष रखे जाने पर कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक पदाधिकारियों को अपने भाषणों में सावधानी बरतनी चाहिए, और उन मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए जो अदालत में विचाराधीन हैं.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओंं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस मामले को मेंशन करते हुए कहा कि "हर दिन केंद्रीय गृह मंत्री कहते हैं कि हमने रद्द कर दिया है. औरर यह अदालत की अवमानना है.

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अधिवक्ता दुष्यंत दवे द्वारा मामले की जानकारी देने पर जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा कि "अगर यह वास्तव में सच है, तो इस तरह के बयान क्यों दिए जा रहे हैं?

अदातल ने कहाा कि सार्वजनिक पदाधिकारियों द्वारा इस तरह के मामलो में कुछ नियंत्रण होना चाहिए. उन्होने कहा कि जब मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन, तो इस तरह के बयान नहीं दिए जाने चाहिए.

पीठ ने आगे कहा कि वह इस तरह के राजनीतिकरण की अनुमति नहीं दे सकती, जब हम मामले की सुनवाई कर रहे हैं.

रिकॉर्ड पर लाने को तैयार बयान

सुनवाई के दौरान कर्नाटक राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस तरह के किसी बयान के बारे में जानकारी होने से इंकार करते हुए कहा कि कोई भी धर्म-आधारित आरक्षण असंवैधानिक है और कथित तौर पर गृह मंत्री ने मुस्लिम आरक्षण को संविधान के खिलाफ बताया है.

सॉलिस्टर जनरल के इंकार करने पर दुष्यंत दवे ने कहा कि वह मंत्री के बयान को अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर ला सकते हैं.

जिस पर अदालत ने कहा कि अदालत का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और इस पर सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाना चाहिए.

जुलाई में सुनवाई

सॉलिस्टर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा कि मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण खत्म करने के राज्य सरकार के 27 मार्च के फैसले पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

दोनो पक्षो को सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई जुलाई तक के लिए टाल दी है.