मृतक ने दो महिलाओं से शादी की. पहली महिला हिंदू (Hindu Woman), तो दूसरी मुस्लिम थी. इस हिंदू व्यक्ति ने बाद में इस्लाम धर्म (Islam Religion) अपनाया था. मृतक के अंतिम क्रिया कर्म को लेकर दोंनो पत्नियों में विवाद छिड़ गया था. मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने मामले में अपना फैसला दिया है. कोर्ट ने दूसरी पत्नी को मृतक का शव निपटान मुस्लिम रिवाज से करने के आदेश दिया है. वहीं, पहली पत्नी को पहले शव लेकर हिंदू रीति से धार्मिक क्रिया (Customary rites) करने के निर्देश दिए है. (A Abdul Malik v. District Magistrate)
जस्टिस आर स्वामीनाथन की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की. जस्टिस ने संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत(धर्म के अधिकार ) का जिक्र कर ये फैसला दिया है.
कोर्ट ने कहा,
“संवैधान के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धार्मिक विश्वास को स्वीकार करने का मौलिक अधिकार है, साथ ही इन विश्वासों और विचारों को प्रदर्शित करने का अधिकार है, जो अन्य लोगों के धार्मिक अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करता है.”
कोर्ट ने हिंदू पत्नी को हिंदू रीति के अनुसार क्रिया करने के निर्देश दिया.
कोर्ट ने कहा,
“संबंधित अधिकारियों को मृतक का शव हिंदू पत्नी और बेटी को देने का निर्देश दिया जाता है ताकि वे कुछ पारंपरिक क्रिया कर सकें. लेकिन ये अस्पताल के परिसर के अंदर में किया जाना चाहिए और 30 मिनट के तय समय में समाप्त किया जाना चाहिए.”
मामला ऐसे व्यक्ति की मौत से जुड़ा है जो जन्म के समय हिंदू था. उसने जुलाई, 1988 में हिंदू रीति-रिवाज से एक महिला से शादी की थी. दंपति को एक बेटी भी हुई. बाद में, उस व्यक्ति ने एक मुस्लिम महिला से शादी कर इस्लाम धर्म अपना लिया था.