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जम्मू कश्मीर चुनाव का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमन के खिलाफ दायर सभी याचिकए की खारिज

दो कश्मीरी नागरिको हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाए दायर करते हुए परिसीमन आयोग के गठन को चुनौती दी थी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : February 13, 2023 8:15 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा गठित परिसीमन आयोग को चुनौती देने वाली याचिकाए खारिज कर दी है.

जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए एस ओका की पीठ ने दो कश्मीरी नागरिको हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओंं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस फैसले में कुछ भी नहीं माना जाएगा कि यह संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड एक और तीन के तहत शक्ति के प्रयोग की अनुमति देता है. पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 से संबंधित वैधता का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है.

गौरतलब है कि याचिकाओं ने अपनी याचिका में परिसीमन आयोग के जुलाई 2004 में जारी एक पत्र को आधार बनाते हुए कहा था कि परिसीमन आयोग के जुलाई 2004 में जारी एक पत्र के अनुसार, पहली जनगणना 2026 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदा विधानसभा सीटों की संख्या में बदलाव नहीं किया जा सकता है.

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जून 2018 से राष्ट्रपति शासन

जम्मू और कश्मीर में बीजेपी और महबूब मुफ्ती की पीडीपी के साथ गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी. जिसके बाद से जून 2018 से जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है, इसके बाद केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 से अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था.

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाए फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है. इसी बीच 6 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी की थी. इस आयोग की अध्यक्ष के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की नियुक्ति की गई.

1 दिसंबर को रखा था फैसला सुरक्षित

इस आयोग के गठन को चुनौती देते हुए कश्मीरी नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाए दायर की. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में पिछले 51 वर्षों से परिसीमन अभ्यास नहीं किया गया है. उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि 2019 के जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत, चुनाव आयोग एकमात्र निकाय था जो परिसीमन अभ्यास करने के लिए अधिकृत था, न कि परिसीमन आयोग की तरह अस्थायी निकाय.

सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष इन याचिकाओं पर सभी पक्षो की बहस सुनने के बाद 1 दिसंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनो याचिकाओं को खारिज कर दिया है.