पणजी: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि केन्द्र सरकार देश में प्रचलन से बाहर हो चुके 65 कानूनों और प्रावधानों को निरस्त करने के लिए 13 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण में विधेयक लाएगी.
गोवा के पणजी में आयोजित हो रहे राष्ट्रमण्डल विधि सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री रीजीजू कहा कि सरकार का मानना है कि कानून लोगों के लिए हैं और अगर कानून ही जनता को न्याय दिलाने में बनते हैं और उनका अनुपालन लोगों के जीवन पर बोझ बन जाता है, तो ऐसे प्रावधानों को खत्म किया जाना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में पिछले साढ़े आठ वर्षों में 1,486 अप्रचलित और गैरजरूरी कानूनों को खत्म किया गया है.
उन्होने कहा कि इसी के तहत संसद के चालू बजट सत्र में, जिसका दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होगा, उसमें 65 और अप्रचलित कानूनों व अन्य प्रावधानों को हटाने के लिए एक विधेयक लाया जाएगा.
देश में मुकदमों की पेडेंसी को लेकर रीजीजू ने कहा कि सरकार अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या में कमी लाना चाहती है. उन्होंने कहा, “भारत की विभिन्न अदालतों में 4.98 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं. मुकदमों का बोझ घटाना आसान नहीं है, क्योंकि नए मामलों की संख्या उन मामलों से दोगुनी है, जिनका निपटारा किया जा रहा है.
कानून मंत्री ने कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में 4.98 करोड़ से अधिक मुकदमें लंबित हैं.सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है.उन्होने कहा हमने ई-अदालतें और तीसरे चरण की विशेष परियोजनाएं शुरू की हैं, इन लंबित मामलों को तकनीक और प्रौद्योगिकी के जरिये हल किया जाएगा. क्योकि सरकार का अंतिम लक्ष्य ‘न्यायपालिका को कागजरहित’ बनाना है.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि एक कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम प्रत्येक व्यक्ति की बात सुनें.
गौरतलब है कि पांच दिवसीय राष्ट्रमण्डल विधि सम्मेलन का उद्घाटन सोमवार को किया गया है. उद्घाटन समारोह में गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ कई हस्तियों ने शिरकत की है. इस सम्मेलन में 52 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.